जनमानस युवा क़लम:हम पे ताज़ीर रहने दो आज हक़ की बात कहने दो!


देश जल रहा है, सुलग रहा है, प्रोटेस्ट की आग की लपटें देशभर में फैल रही है और इसके सूत्रधार है छात्र। देश फिर से उस छात्र आंदोलन के दौर से गुजर रहा है, जिसनें कभी बड़े से बड़े शक्तिशाली शासकों तक को झुकने पर मजबूर कर दिया।

वर्तमान सत्तासीन पार्टी द्वारा लाये गये नागरिकता संशोधन बिल, जो धर्म के आधार पर विस्थापितों को नागरिकता देता है तथा एक धर्म विशेष के प्रति नकारात्मक रवैया दिखाता है, का देशभर में खासतौर से पूर्वोत्तर में, विरोध हो रहा है।

देश के सर्वोच्च शिक्षा संस्थानों एएमयू तथा जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों द्वारा इस बाँटने वाले बिल का पुरजोर विरोध- प्रदर्शन हो रहा है।

देश की अन्य विश्वविद्यालयों जिसमें जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी मुंबई, कानपुर और चेन्नई, आईआईएम अहमदाबाद और बेंगलूरु, लखनऊ यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी, जादवपुर यूनिवर्सिटी, प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी इत्यादि अनेकों शामिल है, में भी छात्रशक्ति द्वारा शांतिपूर्ण ढ़ंग से प्रोटेस्ट किये जा रहे है।

हाल ही कुछ तस्वीरें सामने आई है जिसमें पुलिस द्वारा छात्र- छात्राओं पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया जा रहा है, लाइब्रेरी और कैंटीन में तौड़फौड़ की गयी है, उनके हॉस्टल्स में पुलिस घुस गयी है, छात्र- छात्राओं पर आंसुगैस की फ़ायरिंग की जा रही है। देश के इन उच्च शिक्षण संस्थानों को जंग का मैदान बना दिया है।

पुलिस प्रशासन सफाई देती है कि छात्रों द्वारा माहौल खराब किया है, छात्रों द्वारा उन पर पत्थरबाजी की जा रही है, इसलिए प्रत्युत्तर में कार्रवाई की जा रही है।

सत्तासीन मौन धारण किये हुए है तथा उनकी पार्टी के अनुयायी राजधानी में छात्र- छात्राओं के पीटने की खबरों का आनन्द ले रहे है चूंकि उनकी पार्टी इतने साहसिक फैसले एक के बाद एक लिए जा रही है तो ऐसे छोटे-मोटे प्रदर्शन तो होते ही रहते होंगे।

अगर सत्तासीन पार्टी जो एक विचारधारा विशेष का अनुसरण करती है, यह सोचती है कि हम अपने मेनीफेस्टो का हवाला देकर ऐसे निर्णय लेते रहेंगे और कोई विरोध की आग भी ना जले तो ये आपकी बड़ी भूल होगी।

प्रत्येक नियम- निर्णय के दो पहलू होते है जिसमें किसी की भी अवहेलना नहीं की जा सकती है। बहुमत के आधार पर यदि सरकार सदन से बिल पारित करा भी लेती है तो भी उसे सड़क पर विरोध का सामना करना ही पड़ेगा।

सरकार को भूलना नहीं चाहिए कि ये वहीं छात्र आंदोलन है जिसनें कभी अंग्रेजों को नाक में दम करके रखा था और भारत को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, ये वो ही छात्र प्रोटेस्ट है जो कभी होंगकोंग में Umbrella Movement, यू.एस. में A Day Without Immigrants, चीली में Chilean Winter, साउथ अफ्रीका में Black Conciousness Movement आदि के रूप में वहाँ की सत्ता को झुका दिया था।

सरकार को छात्रशक्ति को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि उनका ये आन्दोलन देशव्यापी हो रहा है और प्रत्येक यूनिवर्सिटी से उनके समर्थन में आवाजें निकल रही है।

सरकार अपनी साख को सलामत रखना चाहती है तो उसको छात्रशक्ति के समक्ष झुकना ही पड़ेगा वरना ये आन्दोलन और व्यापक होगा तथा फिर सरकार को अपना वजूद रख पाना नामुमकिन रह जाएगा।

(विक्रम जांगिड़ युवा कलाकार हैं और अब सोशल मीडिया पर अपनी बात बेबाक़ इस रखते हैं)

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