राजस्थान विश्वविद्यालय में मुद्दों की बात करते दो नए छात्र संगठन


राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र राजनीति के लिहाज से हमेशा से सुर्खियों में रहा है, चाहे वो चुनाव का समय हों या किसी मुद्दे को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन, यहां की छात्र राजनीति ने मुख्य धारा की राजनीति में कई झंडे गाड़े हैं तो कुछ की राजनीति विश्वविद्यालय की दीवार के पार छलांग नहीं लगा सकी।

अब छात्र राजनीति की बात आए और उनके विरोध प्रदर्शन की चर्चा ना हों तो बात अधूरी है, क्योंकि किसी भी छात्र संगठन की बुनियाद छात्र हितों की लड़ाई लड़ने की प्रतिबद्धता पर रखी जाती है।

लेकिन आरयू में जब छात्रों एकजुटता की बात आती है, प्रशासन के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन की चर्चा होती है तो यहां आपको हर किस्म के विरोध प्रदर्शन देखने को मिलेंगे, मसलन यहां के छात्र संगठन आईपीएल टिकटें सस्ती करने के लिए भी नारेबाजी कर चुके हैं।

आप सोच रहे होंगे कि इस समय ना तो राजस्थान यूनिवर्सिटी में चुनाव है और ना ही कोई आंदोलन फिर हम ये छात्र संगठनों की बात क्यों कर रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं।

दरअसल छात्रसंघ चुनाव 2019 के बाद से राजस्थान विश्वविद्यालय कैंपस में दो नए छात्र संगठन उभरे हैं जो पिछले कुछ महीनों से छात्रों के मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। आइए सिलसिलेवार तरीके से आपको बताते हैं इन छात्र संगठनों के बारे में।

1. प्रगतिशील युवा संगठन (Progressive Youth Association – PYA)

राजस्थान विश्वविद्यालय के मानव शास्त्र विभाग (anthropology) के कुछ छात्र और अन्य युवाओं (थियेटर, सामाजिक कार्यकर्ता व अन्य) की यह पहल जमीनी स्तर पर काम करते हुए राजस्थान यूनिवर्सिटी में पिछले 3-4 महीनों से संगठनात्मक तौर पर काम कर रही है। पीवायए ने कैंपस में सक्रिय तौर पर सितंबर से अपने पांव पसारे, वहीं इससे पहले संगठन के लोग बस्तियों में मेडिकल कैंप और एजुकेशनल सेमीनारों का आयोजन करते रहे हैं।   

संगठन ने हाल में राजस्थान यूनिवर्सिटी और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेयएनयू) की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाई जिसका कैंपस के सैकड़ों छात्रों ने समर्थन किया।

वहीं इससे पहले संगठन छात्रों की फीस बढ़ोतरी, बेरोजगारी, एजुकेशन, भूखमरी, पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दों पर पर्चे के जरिए युवाओं में जागरूकता बढ़ाता रहा है।

संगठन के संयोजक रितांश आजाद़ कहते हैं कि, हमारे संगठन का फिलहाल राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनावों पर फोकस नहीं है, हमारा प्राथमिक उद्देश्य छात्रों के बीच जमीनी स्तर पर काम करना है।

इससे आगे वे जोड़ते हैं, आरयू ने सालों से जाति आधारित राजनीति देखी है, हम यह चाहते हैं कि अब मुद्दों पर बात हों, छात्रों में एकजुटता बढ़े।

2. Concerned Students of Rajasthan University (CSRU)

राजस्थान विश्वविद्यालय के एम.फिल (इकोनॉमिक्स) के कुछ छात्रों की यह पहल फिलहाल संगठनात्मक तौर पर नहीं बल्कि एक अभियान स्वरूप काम कर रही है। छात्रसंघ चुनाव 2019 के दौरान अपने पर्चे ‘छात्र राजनीति – चुनाव बनाम यथार्थ’ से चर्चा में आया यह संगठन पिछले 6 महीनों से कैंपस में विभिन्न मुद्दों पर अपनी आवाज उठाता रहा है।

सीएसआरयू देश के तमाम छात्रों और युवाओं के मसलों पर पर्चे के जरिए अपनी राय रखता रहा है। हालांकि पीवायए के मार्फत फिलहाल सीएसआरयू ने भी छात्रसंघ चुनावों को लेकर अपना रूझान स्पष्ट नहीं किया है।

अभियान का नेतृत्व कर रहे कमल मेहता कहते हैं कि, हमनें सीएसआरयू की शुरूआत किसी पद की लालसा या चुनावों को लेकर नहीं की, हमनें हमेशा इसे एक अभियान के तौर देखा है, जिसमें लगातार हमें छात्रों का सहयोग मिल रहा है। इससे आगे वह कहते हैं, हमारा मकसद राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति को मुद्दों पर केंद्रित करना है जिसके लिए हम लगातार हमारे स्तर पर काम कर रहे हैं।  

अब देखना यह होगा कि एनएसयूआई और एबीवीपी के गढ़ माने जाने वाले राजस्थान विशविद्यालय में छात्र राजनीति आने वाले चुनावों में क्या रूख एख्तियार करती है। क्या छात्र मुद्दों को लेकर संगठित हो पाएंगे, इस सवाल का जवाब फिलहाल समय के गर्भ में कैद है।

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