करौली -स॰माधोपुर : ट्विटर पर छिड़ा पांचना बांध खोलने का अभियान, अब तक 30 हज़ार ट्वीट !


राजस्थान से सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर रविवार की शाम से एक हैशटैग ट्रेंड करने लगा, जिसमें राजस्थान और देश के कई हिस्सों से लोग करौली जिले के पांचना बांध को खोलने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के नाम ट्वीट कर रहे हैं।

लोगों की यही मांग है कि जल्द से जल्द पांचना बांध के गेट खोले जाएं जिससे किसानों को पानी की आपूर्ति हो सके।

आपको बता दें कि इस मांग पर अभी तक करीब 30 हज़ार ट्वीट हो चुके हैं और यह हैशटैग राजस्थान में टॉप-5 तो नेशनल लेवल पर 21वें नम्बर पर ट्रेंड कर रहा है।

गौरतलब है कि राजस्थान में अक्टूबर-नवंबर के महीने रबी की फसल की बुआई के होते हैं, ऐसे में किसानों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

पांचना बांध कहां है ?

पांचना बांध करौली जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर गुड़ला नामक गाँव में बना है। यह राजस्थान का एकमात्र मिट्टी से बना बांध है।

यह करौली जिले का सबसे बड़ा बांध है जो पांच नदियों के (बरखेडा,भद्रावती,अटा,मांची,भैंसावट) के संगम पर स्थित है। पांच नदियों का पानी यहां गिरता है इसलिए इसे पांचना बांध कहते हैं।

इस बांध पर करौली –हिंडोन मार्ग पर एक पुल बना हुआ है जिसे अंजनी का पुल के नाम से जाना जाता है क्योकि इस पुल के समीप पहाड़ी पर अंजनी माता का मंदिर है।

इससे करौली, सवाई माधोपुर, बयाना (भरतपुर) में जलापूर्ति होती है।

सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि सवाई माधोपुर ज़िले में पानी का भीषण संकट झेल रहे 35 गांवों की प्यास बुझाने के लिए वर्ष 1978-1979 में तत्कालीन सरकार ने करौली के पास 5 नदियों के संगम स्थल पर बांध निर्माण को मंजूरी दी थी।

करोड़ों की धनराशि से लगभग एक दशक में बनकर तैयार हुए इस बांध से वर्ष 1989 में जब कमाण्ड एरिया के 35 गांवों में नहरों के जरिए पानी पहुंचा तो वहां के किसानों के लिए जैसे वह मौक़ा दीपावली मनाने का था।

गंगापुर एवं नादौती तहसील के मांड क्षेत्र में स्थित इन गांवों में कृषि की सिंचाई तो दूर, पीने के पानी के लिए भी लोग तरसते थे।

इस बड़े भू-भाग में भू-जल का नितांत अभाव है। 1989 में जब पांचणा बांध से नहरों के जरिए इस सूखी धरती पर पानी जैसे ही पड़ा, लगा कि लोगों को जैसे अमृत धारा मिल गई हो। पांचणा के पानी से देखते ही देखते महज एक दशक में इन गांवों की सूरत ही बदल गई।

एक रोचक किस्सा यह भी है कि पहले भीषण जल संकट के चलते दूसरे इलाके के सम्पन्न और सरसब्ज किसान मांड क्षेत्र में अपनी बेटी का विवाह करना पसंद नहीं करते थे।

इस कारण यहां के अधिकांश युवा कुंवारे रह जाते थे। किन्तु पांचणा बांध के पानी ने मांड क्षेत्र में विवाह से जुड़ी ग्रामीणों की चिंता को पूरी तरह दूर कर दिया।

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