कितना कारगर साबित होगा गहलोत सरकार का पान मसाला पर बैन ?


राजस्थान की गहलोत सरकार ने गांधी जयंती पर प्रदेश में मैग्निशियम कार्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू या मिनरल ऑयल युक्त पान मसाला और फ्लेवर्ड सुपारी पर बैन लगा दिया है। अब इनकी बिक्री, प्रोडक्शन सब बंद हो जाएगा। इस प्रतिबंध के साथ राजस्थान महाराष्ट्र और बिहार के बाद तीसरा राज्य बन गया है।

मैग्नीशियम कार्बोनेट कई हार्ट की बीमारियों का कारण होता है और ओरल बीमारियां तो होती ही है। यह बैन फ़ूड सेफ्टी एक्ट 2006 के तहत लगा है।

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने 2015 में पाया कि वहां बिकने वाले पान मसाला में मैग्नीशियम कार्बोनेट है, यहां तक कि सबसे बड़े डीएस ग्रुप के रजनीगंधा पान मसाला में भी 2.52 फीसदी मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया गया।

वहीं बिहार सरकार ने इसी साल शराब बंद के बाद अब अगस्त में एक साल के लिए पान मसाले/ गुटखे पर बैन लगाया। बिहार सरकार रजनीगंधा, राज निवास, सुप्रीम पान पराग, पान पराग, बहार, बाहुबली, राजश्री, रौनक, सिग्नेचर, कमला पसंद, मधु पान मसाला इन ब्रांड की जांच में पाया गया कि इनमें मैग्नीशियम कार्बोनेट है।

गुटखे में सुपारी, चूना, कत्था, तम्बाकू और कई रंग औऱ केमिकल होते हैं। वहीं पान मसाला में तंबाकू नहीं होता 2011 के खाद्य मानक और सुरक्षा अधिनियम में कहा गया कि किसी भी प्रोडक्ट में कोई भी हानिकारक चीज़ (निकोटिन) नहीं होगी।

इसके बाद आपने देखा होगा कि राज्य में पान मसाला अलग और तंबाकू का अलग से पाउच दिया जाने लगा, कंपनियों ने इसका तोड़ निकाल लिया।

वहीं 2014 में जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी, ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और डब्लूएचओ ने 1001 लोगों पर एक सर्वे किया जिसमें वो लोग शामिल थे जो गुटखा छोड़ चुके थे. साथ ही इसमें 458 गुटखा बेचने वाले लोगों को भी रखा गया. 7 राज्यों असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और दिल्ली में कराए गए इस सर्वे में इस सर्वे में 90% ऐसे लोग थे जिन्होंने इस बात को माना कि सरकार को गुटखे और पान मसाले पर पूर्ण रूप से बैन लगाना चाहिए।

92 % लोगों ने बैन का समर्थन किया तो 99% लोगों ने माना कि ये बैन लोगों की सेहत के लिहाज से अच्छा है।

इसके अलावा एक अनुमान के मुताबिक गुटखा और पान मसाले का कारोबार करीबन 60 हज़ार करोड़ का है, ऐसे में सरकारों का टैक्स का लालच किसी से छुपा नहीं है। अब देखना यह होगा कि गहलोत सरकार के इस बैन के बाद रोक किस हद तक लग पाती है या बेचने वाले पहले की तरह कोई नया रास्ता ईजाद करते हैं !

– अवधेश पारीक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *