आरएएस मुख्य परीक्षा के पेपर को देखने के बाद अब आपको बदलना पड़ेगा पढ़ाई का ये तरीक़ा!

RAS (Mains), 2018 मुख्य परीक्षा, (25-26 June 2019)
सात सबक जो सीखने हैं. चारों पेपर के प्रश्न जानने के बाद!


1. ‘रटने’ की आदत छोड़ ही देनी है और ‘समझने’ का मार्ग अपना लेना है. समझना इतना कि किसी और को आप सरल भाषा में समझा सकें. कक्षा 11-12 की किताबों के हर चेप्टर के पीछे लिखे प्रश्न इसी ओर ईशारा करते हैं.

2. टीचर-स्टूडेंट और दोस्तों के बीच सक्रिय संवाद और गंभीर तर्क का समय आ गया है. एक तरफा भाषणों को कम किया जाए. कोचिंग का स्तर थोड़ा ऊंचा करना होगा पर प्रदेश के बाहर से लच्छेदार भाषा वाले ‘ज्ञानियों’ को लाने की बजाय स्थानीय प्रयास ही अधिक किया जाये. कोर्स पूरा तो हो पर मात्र औपचारिकता से परीक्षा में कोई फायदा नहीं होगा.

3. हर विषय पर कई तरह के प्रश्नों की रचना करके उनके उत्तर 15-50-200 शब्दों में लिखने का अभ्यास करना होगा. इससे आपके दिमाग की विश्लेषण क्षमता विकसित होगी. हो सकता है कि यही सवाल परीक्षा में न आयें पर यह शैली चमत्कारिक ढंग से आपकी मदद करेगी.

4. पढने को ‘बोझ’ न मानकर जीवन में ‘ज्ञान’ अर्जित करने का ‘मार्ग’ मानना होगा. केवल परीक्षा के लिए नहीं पढना है, यह मार्ग आपको एक जागरूक नागरिक भी बना रहा है. कम से कम एक वर्ष का प्लान बनाना है, तैयारी का, लेकिन दिन में दस-पंद्रह घंटे पढ़ने के लक्ष्य की बजाय निश्चित टोपिक्स को समझने का लक्ष्य लें. खेल और संगीत से भी जुड़े रहें, खाना कम खाएं पर पौष्टिक खाएं. नींद कम से कम आठ-नौ घंटे लें. तब आनंद के साथ पढना हो जायेगा. हो सकता है कि यह ज्ञान कल आपके जीवन में RAS/IAS से भी बड़ा अवसर खोल दे !

5. अंग्रेजी का डर हमेशा के लिए निकाल देना है. रोज आधा घंटे किसी कमरे में बंद होकर या प्यारे दोस्त के साथ एक या दो पेज बोल बोलकर पढने हैं ताकि आपके होंठ इसके अभ्यस्त हो जाएँ और आपके दिमाग और जीभ के बीच का कनेक्शन जुड़ जाए ! इससे हर विषय की तकनीकी शब्दावली पकड़ में आएगी और चौथे पेपर में बहुत आसानी हो जायेगी, जिसे ‘राजस्थानी’ भाषी युवा कठिन समझते हैं.

6. करंट अफेयर्स को दैनिक जीवन का अंग बना लेना है. परीक्षा के समय केवल संकलित सामग्री पर निर्भर नहीं रहना है. सरकारी योजनाओं का व्यवहारिक रूप भी अपने आसपास देखते रहना है, अधिकारियों से इनके बारे में बात करते रहना है- जागरूकता भी बढ़ेगी. साथ ही सरकारी दृष्टिकोण को मानने की आदत डालनी है. आगे जाकर हाँ में हाँ ही तो मिलानी है ! इसलिए सरकार कहे कि गरीबी योजनाओं के कारण काफी कम हुई है तो हुई है, कृषि में क्रान्ति हुई है तो हुई है ! महिलाऐं सशक्त हुई हैं तो हुई हैं, भले प्रधानी उनका पति करता हो !

7. पहले की परीक्षाओं में सफल हुई प्रतिभाओं का सम्मान करना है पर उनकी शैली की नकल करने की जरूरत नहीं है. आपकी अपनी शैली होगी. साक्षात्कार में भी आपको इधर उधर न भटककर अपनी शैली में सहज भाव से प्रस्तुत होना है, जैसे आप अपने घर में या दोस्तों के बीच रहते हैं. वह भाव आते ही आपका इंटरव्यू शानदार हो जायेगा. डर और झूठ से बचना है. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, सिलेक्शन ही तो नहीं होगा. हो सकता है, प्रकृति ने कुछ और अच्छा करने का तय कर रखा है. RAS में जाना जीवन चलाने का एक मार्ग ही है, यह ‘मोक्ष’ प्राप्त करना थोड़े ही है !

सभी स्टूडेंट्स को मेरी शुभकामनाएँ,

इन विषयों पर सोशल मीडिया में और मंचों पर इस वर्ष हाजिर रहूँगा.
मेरा अपना स्वार्थ है – ज्यादा से ज्यादा जागरूक और ज्ञानवान युवा समाज को उपलब्ध हों.

(इस लेख को कोई अन्य व्यक्ति अपना ‘ज्ञान’ बताकर whatsapp या facebook पर बांटे तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ! मेरे पास तो ये शब्द प्रकृति से आये हैं और इन पर सभी का हक़ है ! मेरा क्या है मुझमें, जो है सब तेरा ! कबीर कहते हैं.)

-अभिनव अशोक
(अभिनव राजस्थान पार्टी के संयोजक हैं)

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