SC फैसले ने सत्ता भोग के लिए आस्था के साथ राजनीति करने वालों के दरवाजे बंद कर दिए-काँग्रेस


अयोध्या का या कहें देश के सबसे विवादित मसले पर सुप्रीम कोर्ट का आखिरकार फैसला आ गया है. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए जिसके लिए केंद्र सरकार को 3 महीने के अंदर एक योजना बनाने के लिए कहा है।

वहीं मुस्लिम पक्षकारों को दूसरी जगह जमीन देकर मस्जिद बनाने का आदेश जारी हुआ है।कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने शनिवार को कहा कि वह अयोध्या मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है। पार्टी ने साथ ही कहा कि अब सभी को शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करना चाहिए।

CWC की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है।’ कोर्ट के फैसले पर बात करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस राम मंदिर निर्माण के पक्ष में है।इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के बाद अपना फैसला सुना रहा था

. 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में 3 जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से अयोध्या मामले पर अपना फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को मामले के 3 मुख्य पक्षकारों- निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटा जाएगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर तीनों ही पक्ष सहमत नहीं हुए जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की ओर से करीब 14 याचिकाएं दाखिल की गई। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मध्यस्थता के जरिए समाधान निकालने की भी कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकला।आपको बता दे की सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में विवादित जमीन पर राम जन्म भूमि न्यास को हक दिए जाने से मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है। मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में फिर इस फैसले को चुनौती देने की बात सामने आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *