अयोध्या विवाद या कहें देश के सबसे विवादित मसले पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए जिसके लिए केंद्र सरकार को 3 महीने के अंदर एक योजना बनाने के लिए कहा है।
वहीं मुस्लिम पक्षकारों (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को दूसरी जगह जमीन देकर मस्जिद बनाने का आदेश जारी हुआ है।
फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर तमाम बीजेपी और कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। वहीं इस मसले पर राजस्थान के भी कई दिग्गज नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री
राज्यवर्धन राठौर
हनुमान बेनीवाल, आरएलपी संयोजक
The Judgment of Hon'ble Supreme Court on Ayodhya is historic. The Judgement will further strengthen India’s social fabric,I appeal to the people to maintain peace & harmony after this landmark verdict.
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) November 9, 2019
अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री
वर्षों से चले आ रहे श्रीरामजन्मभूमि मामले पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का यह ऐतिहासिक फैसला स्वागतयोग्य है। मैं समस्त देशवासियों से अपील करता हूँ कि इस निर्णय का सम्मान करते हुए शांति और सौहार्द बनाए रखें तथा नवभारत के निर्माण में सदैव प्रयत्नशील रहें#AYODHYAVERDICT
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) November 9, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
The calm and peace maintained by 130 crore Indians in the run-up to today’s verdict manifests India’s inherent commitment to peaceful coexistence.
May this very spirit of unity and togetherness power the development trajectory of our nation. May every Indian be empowered.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
The halls of justice have amicably concluded a matter going on for decades. Every side, every point of view was given adequate time and opportunity to express differing points of view. This verdict will further increase people’s faith in judicial processes.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
SC’s Ayodhya Judgment is notable because:
It highlights that any dispute can be amicably solved in the spirit of due process of law.
It reaffirms the independence, transparency and farsightedness of our judiciary.
It clearly illustrates everybody is equal before the law.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
फैसले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बातें-
- विवादित जमीन हिंदुओं को देने का फैसला
- 3-4 महीने के अंदर ट्रस्ट बनाएगी केंद्र सरकार
- ट्रस्ट मंदिर नाम निर्माण का काम देखेगा
- मुस्लिमों को वैकल्पिक जगह देने का आदेश
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश
- शिया बोर्ड का मामला खारिज, निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज
- मस्जिद के नीचे कोई ढांचा था और वो इस्लामिक नहीं था, खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी मस्जिद
इसके अलावा हिंदुओं की मान्यता पर कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम का जन्म हुआ जिसमें हिंदुओं की आस्था है और इस पर अदालत कोई दखल नहीं देना चाहती है। इसके साथ ही जमीन के मालिकाना हक पर फैसला सिर्फ आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं दिया जा रहा है।
2010 में इलाहाबाद कोर्ट ने दिया था फैसला
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के बाद अपना फैसला सुना रहा था. 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में 3 जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से अयोध्या मामले पर अपना फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को मामले के 3 मुख्य पक्षकारों- निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटा जाएगा.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर तीनों ही पक्ष सहमत नहीं हुए जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की ओर से करीब 14 याचिकाएं दाखिल की गई। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मध्यस्थता के जरिए समाधान निकालने की भी कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकला।