क्या कांग्रेस में आला कमान की हैसियत ख़त्म,मज़बूत हो रही हैं राज्य सरकारें !


भारतीय राजनीति के लोकसभा चुनाव के इतिहास में सबसे कमजो़र 2014 व फिर 2019 मे कांग्रेस के नज़र आने के बाद अब केंद्र मे पूरी तरह हाशिये पर चली गई है! 
इसके साथ साथ कांग्रेस मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, पांडेचेरी जैसे पांच राज्यों तक सिमट जाने के बाद साफ लगने लगा है कि दिल्ली के सामने राज्य कांग्रेस राजनीति मे काफी मज़बूत नज़र आ रहे है!

लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुये पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद से त्याग पत्र देते हुये लगातार इशारा कर रहे है कि वो त्याग पत्र किसी भी सूरत मे वापिस नही लेंगे!

राहुल गांधी के त्याग पत्र का अनुसरण करते हुये किसी भी नेता ने त्याग पत्र अपने पद से नहीं दिया तो पूरे एक महीने बाद दुखी मन से राहुल गांधी ने युवा कांग्रेस के उनसे मिलने गये कार्यकर्ताओं के सामने रोया तो कुछ कार्यकर्ताओं ने त्याग पत्र देना शुरू किया!पर उनमें किसी भी मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष का नाम नहीं था!

दिल्ली कमजोर होने का परिणाम यह निकला कि भारत के सभी पांच राज्यों में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री राहुल गांधी से एक जुलाई को एक साथ मिलने पहुंचे ओर वो त्याग पत्र देने की बजाय उन्हे ही समझाने पहुंचे की वो त्याग पत्र वापस लेने पर विचार करें!

हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल व पांडेचेरी के मुख्यमंत्री नारायण शामी ने राहुल गांधी से मिलकर मीडिया के सामने आने पर अपने त्याग पत्र देने की पेश के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया!

बल्कि यह कहा कि उम्मीद है की राहुल गांधी हमारी बातों पर गौ़र करके सही समय पर उचित फैसला करेंगे!

इस बैठक के तीन दिन बाद राहुल गांधी ने औपचारिक रूप से अपना इस्तीफ़ा दे दिया उन्होंने चार पेज का इस्तीफ़ा ट्विटर पर ट्वीट किया है!

कुल मिलाकर यह है कि दिल्ली के मुकाबले राज्यों के मज़बूत होने के कारण कांग्रेस की लोकसभा मे हार के कारण किसी भी मुख्यमंत्री का त्याग पत्र नहीं होगा!
इसके विपरीत इसी हफ्ते सीडब्ल्यूसी की आयोजित होने वाली बैठक में किसी दलित, ब्राह्मण या अल्पसंख्यक नेताओ में से किसी एक नेता का नये अध्यक्ष के तौर पर नाम का ऐलान जरूर हो सकता है!

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