आज अंग्रेज़ों के खिलाफ आदिवासी विद्रोह छेड़ने वाले महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का शहादत दिवस है


बिरसा वो थे जिनहोने मुंडा आदिवासियों को अंग्रेज़ों और स्थानीय ज़मीनदारों को टैक्स न देने के लिए प्रेरित किया ।

उन्होने मुंडा आदिवासियों को संगठित करके अपनी ज़मीन और जंगल के अधिकार के लिए विद्रोह छेड़ा । इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेज़ों ने कई आदिवासियों का कत्ल किया और इसमें कई पुलिस कर्मी भी मारे गए ।

बाद में बिरसा और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके साथ 400 से ज़्यादा साथियों पर मुकदमा चला । उन्हें अंग्रेज़ों ने जेल में बंद कर दिया और वहीं 9 जून 1900 को उनकी मौत हो गयी ।

उनकी मौत को अब 120 साल पूरे हो गए हैं ,अंग्रेज़ चले गए और भारत सरकार स्थापित हुई , लेकिन आदिवासियों के हालात ज़्यादा नहीं बदले।

चाहे कॉंग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की दोनों ही देशी- विदेशी पूँजीपतियों की एजेंट हैं । दोनों ही आदिवासीयों के जल जंगल ज़मीन के हक़ को उनसे छीनने में लगे हुए हैं ।

उन्हें लोगों से मतलब नहीं है सिर्फ उनकी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राकृतिक संसाधनों से मतलब है , जिससे वो करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं ।

पूँजीपतियों के मुनाफे की इस भूख ने प्रकृति का जो दोहन किया है उससे आज पर्यावरण संकट पैदा हो गया है, जिसका असर हम हर रोज़ देख रहे हैं । इसके खिलाफ आदिवासी आज भी जल जंगल ज़मीन की लड़ाई लड़ रहे हैं ।

इसी संदर्भ में आज हमें बिरसा के संधर्ष को याद करना चाहिए । आज हमारा काम है कि हम बिरसा मुंडा के संघर्ष से प्रेरणा लेकर जल जंगल ज़मीन को बचाने की लड़ाई में आदिवासियों के साथ खड़े हों ।”

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