शेखावाटी में अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे उम्मीदवार,क्या रहेंगे जातिगत राजनीतिक समीकरण!

।अशफाक कायमखानी।
सीकर।
राजस्थान सरकार का मंत्रीमंडल का विस्तार अभी दो दिन बाद होना है। लेकिन शेखावाटी जनपद की तीनो लोकसभा सीटों से सम्भावित उम्मीदवारों ने अपने स्तर पर लोकसभा चुनावों की तैयारी तेजी के साथ शूरु करके कड़कड़ाती ठंडक मे भी सियासी गरमाहट लाकर राजनीतिक दलो के कार्यकर्ताओं मे नये तरीक़े से उर्जा का संचार करने की कोशिश मे लग चुके है।

झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद संतोष अहलावत के अलावा पूर्व विधायक प्रैम सिंह बाजोर का नाम खासा चर्चा मे है। वही कांग्रेस की तरफ से पूर्व जिला प्रमुख राजबाला व पूर्व विधायक श्रवण कुमार मे से किसी एक की उम्मीदवारी का होना माना जा रहा है।

इसी तरह सीकर से भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद सुमेदानंद महाराज व कांग्रेस की तरफ से पूर्व केद्रीय मंत्री सुभाष महरिया के मध्य ही मुकाबला होना तय है।

चूरु से भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद राहुल कस्वां व कांग्रेस की तरफ से पूर्व सांसद रामेश्वर डूडी या फिर रफीक मण्डेलीया मे से एक उम्मीदवार आना माना जा रहा है।

ऐसे है शेखावाटी के जातिगत समीकरण

हालांकि विधानसभा चुनावों के मुकाबले लोकसभा चुनावों मे अलग अलग सियासी समीकरणो का बनना तय माना जा रहा है। बिना मांगे केवल भाजपा के डर के मारे मुस्लिम मतो का कांग्रेस की तरफ आना तय है। वही  एससी एसटी कानून, आरक्षण एवं विभागीय तरक्की मे आरक्षण को लेकर भाजपा से चली नाराजगी के चलते दलित समुदाय का एवं किसान का कर्जा माफ करने के अलावा प्रदेश की सत्ता के साथ चलने की आदत अनुसार जाट समुदाय का कांग्रेस की तरफ आना सियासी जानकार पक्का मान रहे है।

लेकिन विधानसभा मे तत्तकालीन मुख्यमंत्री राजे से नाराजगी के चलते राजपूत समाज का एक खासा प्रतिशत अब कांग्रेस की बजाय भाजपा की तरफ ही लोटना माना जा रहा है।
हाल ही मे सम्पन्न हुये विधानसभा चुनावों मे शेखावाटी जनपद की कुल इक्कीस सीटो मे से एक सीट पर बसपा व एक पर निर्दलीय एवं चार पर भाजपा के जीतने के अलावा पंद्रह पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। लेकिन विधानसभा के मुकाबले लोकसभा चुनाव मे राजनीतिक समीकरण अलग तरह से बनते नजर आयेगे। बसपा, रालोपा व माकपा अगर लोकसभा चुनावों मे यहां उम्मीदवार लड़ाते है तो वो मत कुतर कर कांग्रेस को कितना नूक्सान पहुंचाते है। उस हालात मे भाजपा उम्मीदवार कितना कुछ गुणा भाग बैठाने मे सफल होते है। यह सब उम्मीदवार तय होने के बाद ठीक से आंकलन हो पायेगा। पर परिपाटी के मुताबिक प्रदेश की सरकार के दल के पक्ष मे लोकसभा नतीजे आने से तो आज के समय कांग्रेस का पलड़ा ही भारी नजर आ रहा है।

कुल मिलाकर यह है कि जाट-मुस्लिम व दलित मतदाताओं के अलावा गहलोत व पायलट के कारण माली व गूजर मतदाताओं का समर्थन कांग्रेस उम्मीदवारों को भरपूर मिलना माना जा रहा है। जबकि भाजपा स्वर्ण व राजपूत मतदाताओं के अलावा पिछड़ा वर्ग को फोकस करके चुनाव जीतने की भरपूर कोशिश करके सीट निकालने की कोशिश करेगी। पर आज के हालात मे मोदी इफेक्ट के बावजूद कांग्रेस का ही जनपद मे पलड़ा भारी नजर आ रहा है।

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