हबर्स एण्ड हकीम यूनानी मेडिकल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का कहना है कि यूनानी पैथी में भी कोरोना जैसी बीमारी का इलाज संभव है।
हकीम इब्राहिम का कहना है यूनानी पद्धति दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है एक पद्धति है। इस पद्धति के जनक हकीम बुकरात हैं।
यह पद्धति ह्यूमोरल थ्योरी पर आधारित है। हकीम बुकरात जिनको हिप्पोक्रेट्स भी कहा जाता है। इनको आधुनिक चिकित्सा पद्धति का जनक यानी फादर भी कहा जाता है।
हकीम बुकरात का कहना है की , ‘‘प्रदूषित हवा में
बैक्टीरिया, वायरस आदि होते हैं। जिससे इस तरह की एपिडेमिक पन्डेमिक महामारी फैलती है। सांस लेने की तकलीफ, थकान ,बदन दर्द और कभी-कभी उल्टी-दस्त की शिकायत होती है।”
आज से करीब 100 साल पहले इसी तरह की एक महामारी फैली थी। जिसको सस्पेनिश फ्लू के नाम से जाना जाता है। इस तरह की महामारी को यूनानी चिकित्सा पद्धति में वबाई अमराज कहा जाता है।
उस वक्त दिल्ली में हकीम अजमल खान साहब जिनका जन्मदिन 12 फरवरी को वर्ल्ड यूनानी डे के रूप में आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हर वर्ष मनाया जाता है।
इन हकीम अजमल खान साहब की एक मशहूर किताब हाजिक़ में इस तरह की बीमारी के बारे में उन्होंने लिखा है कि इस बीमारी का सबब यानी कारण हवा में जहरीले माद्दे जिसको हम आज के दौर के हिसाब से वायरस कह सकते हैं, होता है।
जो सांस के जरिए से शरीर में प्रवेश करता है। और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फेलता है। और जल्दी ही बहुत सारे लोगों को अपनी चपेट में। ले लेता है। इसीलिए इसको वबाई बीमारी कहा जाता है।
यह मर्ज बूढ़े और बच्चों में ज्यादा तकलीफ पहुंचाता है ।बुखार बदन दर्द, गले में दर्द ,आवाज का बैठ जाना ,सूखी खांसी का होना,सीने पर बोझ महसूस होना,हलक कड़वा होना, हलक और हवा की नालियों में सूजन का पैदा हो जाना।
जिससे तेज खांसी और निमोनिया जेसी शिकायत पैदा हो जाती है। अगर यह मर्ज ज्यादा गंभीर ना हो और मरीज को कोई दूसरी बीमारी ना हो तो हफ्ते भर में मरीज को आराम आ जाता है।
उन्होंने इसके बचाव के लिए चाय या गुनगुना पानी पीने की सलाह दी। साथ में भूख से कम खाना और कब्ज ना होने देना। मरीज को खुली हवा में रखना।
बीमार को अलग कमरे में रखना और पेट साफ करने के लिए कुर्स मुलय्यम की गोलियां देना बताया। साथ ही में उन्होंने एक जोशन्दा या काढा जिसमें बेहदाना 3 ग्राम, उन्नाव पांच दाना,और सपिसता9 दाना। पानी में अच्छे से उबालकर। सुबह शाम पिलाएं। साथ में शरबत बनफ्शा बीस एमएल सुबह शाम पिलाएं।
एक हफ्ता या मर्ज ठीक होने तक पिलाएं और रोग प्रतिरोधक क्षमता। यानी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खमीरा मारवारीद 5 ग्राम सुबह शाम चटाऐं।
जिन मरीजों में नज़ला ज्यादा हो उनको काली मिर्च और बड़ी पीपली का पाउडर बनाकर शहद में मिलाकर सुबह शाम चटाऐं। इस बीमारी से! बचाव के लिए। मास्क का इस्तेमाल करें। मरीज को अलग यानी आइसोलेट रखें। अपने हाथ बार-बार साबुन से धोते रहें।
कोविड-19 के बारे में, जैसा के ज्यादातर एक्सपर्ट्स की राय है। यह बीमारी करीब 80 से 85 परसेंट तक सेल्फ लिमिटेड यानी अपने आप ठीक होने वाली है। बस पॉजिटिव मरीजों के संपर्क से बचें। डरे बिल्कुल नहीं। साथ में इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश करें। बीमार होने पर एक्सपर्ट की सलाह व दवा ले।