कोई इतना पत्थर दिल कैसे हो सकता है कि मासूम बच्चों को फिरौती पाकर भी मार दे!

कुदरत का भी अजीब खेल है, जो बच्चे दुनिया में साथ आए थे वह दुनिया से साथ ही चले गए। एक ही अर्थी पर दोनों जुड़वा भाइयों का अंतिम संस्कार किया गया। ये एक हृदयविदारक घटना है।  मध्यप्रदेश के सतना जिले से अगवा जुड़वा भाइयों के अपहरण के बाद नृशंस हत्या मन को झकझोर देने वाली घटना है।
चित्रकूट के विद्यालय से 6 साल के जुड़वाँ बच्चों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई, हैरत की बात है कि अपहरणकर्ताओं को फिरौती की रकम भी मिल गई थी। दो राज्यों की एसटीएफ एवं तीन जिलों की पुलिस भी बच्चों को नहीं बचा पाई।  आखिर कोई इतना हृदयहीन कैसे हो सकता है कि मासूम बच्चों को फिरौती पाकर भी मार दे। मासूम बच्चों को देखकर तो खूंखार जानवरों का दिल पिघल जाता है, ये कैसे जानवर थे कि उनके हाथ मासूमों की हत्या करते हुए नहीं कांपे?  इस घटना ने मानवता को शर्मसार किया है, इसकी सख्त से सख्त सजा दोषियों को अवश्य मिलनी चाहिए।

    इस हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार बच्चों का ट्यूशन मास्टर बताया जा रहा है जिसने अपराधियों को खबर दी थी, उसे तो हर हाल में मौत की सजा मिलनी ही चाहिए। 12 फरवरी को दोपहर एक बजे स्कूल की छुट्टी के बाद  घर लौटते वक्त यह घटना घटी। बारह दिनों के बाद अपराधियों ने अपनी पहचान जाहिर होने के भय से मासूम बच्चों को पत्थर से बांध कर नदी में फेंक दिया। इस घटना को जो कोई भी सुनता है उसका रूह कांप उठता है, आखिर उन मासूमों का क्या कसूर था? अभी तो उन बच्चों के खेलने कूदने की उम्र थी। ये कैसे दरिंदे हैं जो धन की लालच में इतने वहशीपन पर उतर गए।
   अगर पुलिस मामले को गंभीरता से लेती तो आज वे मासूम बच्चे अपने माँ बाप की गोद मे खेलते कूदते नजर आते। माँ बाप के दिल पर क्या बीत रही होगी, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल और नामुमकिन है। इस मामले को लेकर पक्ष विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप जारी है, राजनीति होनी शुरू हो चुकी है जो अमूमन हर घटना के बाद हमेशा से होता आया है। राज्य सरकार को तुरंत इस मामले की सीबीआई जांच करवानी चाहिए ताकि सभी मुजरिम सामने आ सकें।  और सभी आरोपियों को ऐसी सजा दी जाए जो उनलोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
-ज़फर अहमद, बिहार
(विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख छपते रहते हैं)

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