सियासत का खेल राज्यसभा चुनाव के बाद भी जारी है, ना कोरोना का भय है ना मंदी की मार


राजस्थान की सियासत में विधायक पहले घोड़े और अब बकरे बने और सियासत का खेल राज्यसभा चुनाव के बाद भी जारी है। राज्यसभा से पहले हॉर्स ट्रेडिंग के जिक्रों में जहां विधायक घोड़े की संज्ञा में आ गये थे तो अब बकरे की संज्ञा से विभुषित हो रहे हैं।

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने की खबरों के बीच 11 जुलाई को सीएम अशोक गहलोत ने आक्रमक अंदाज में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

गहलोत ने कहा कि कोरोना काल में जब मेरी सरकार संक्रमण से लड़ रही है, तब भाजपा वाले सरकार को अस्थिर करने में लगे हुए हैं। जिस प्रकार बकरा मंडी में बकरे का मोल भाव होता है, उसी प्रकार राजस्थान में विधायकों को खरीदने के प्रयास हो रहे हैं।

गहलोत ने कहा कि दिल्ली में बैठे भाजपा के नेता मेरी सरकार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। विधायकों को 10 करोड़ रुपए एडवांस और 15 करोड़ रुपए सरकार गिरने के बाद देने की बात हो रही है।

कांग्रेस ने विधायकों की बगावत के सवाल पर गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के गद्दारों को प्रदेश की जनता सबक सिखाएगी। जिस पार्टी ने विधायक, मंत्री बनाकर सम्मान दिया, यदि अब ऐसे कांग्रेसी गद्दारी करते हैं तो यह बेहद अफसोसनाक बात है।

गहलोत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेन्द्र राठौड़ और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया सरकार गिराने का काम कर रहे हैं। केन्द्रीय नेताओं के सामने ये तीनों नेता अपने नम्बर बढ़ाने में लगे हुए हैं।

गहलोत ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के समय भी ऐसे प्रयास किए गए थे। लेकिन तब सफलता नहीं मिली। लेकिन अब एक बार फिर से सरकार गिराने के प्रयास शुरू हो गए हैं। चूंकि अब एसओजी जांच कर रही है, इसलिए खरीद फरोख्त की सच्चाई सामने आ जाएगी। केन्द्र सरकार के किस मंत्री ने क्या भूमिका निभाई इसका भी चल जाएगा। एसओजी ने इस मामले में मुझे भी बयान देने के लिए नोटिस भेजा है। मैं अपने बयान दर्ज करवाउंगा।

गहलोत ने कहा कि भाजपा के नेताओं ने तिकड़मों और बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी है। मैं दावे से कहना चाहता हूं कि भाजपा ने गुजरात में जो चाल चली उसे राजस्थान में सफल नहीं होने दिया जाएगा।

सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की चाहत के सवाल पर गहलोत ने कहा कि पायलट ही क्यों कांग्रेस में कई लोग मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री तो एक ही बन सकता है और इस समय मैं मुख्यमंत्री हूं. क्या कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गुट हैं? के सवाल पर गहलोत ने सिर्फ मुस्कुराहट व्यक्त की।

गहलोत ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री हूं और मेरे पास कई स्रोतों से सूचनाएं आती है। मुझे सब पता है कि कौन क्या कर रहा है।

गहलोत ने माना कि कोरोना की वजह से सरकार का राजस्व मात्र तीस प्रतिशत रह गया है। जिसकी वजह से सरकार को घोर आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है।

गहलोत ने इस बात पर अफसोस जताया कि मांग के बाद भी केन्द्र सरकार ने राहत पैकेज नहीं दिया है। केन्द्र ने सिर्फ ऋण लेने की सुविधा दी है।

इस सियासी खेल में जिन 3 निर्दलीय विधायक सुरेश टांक, ओमप्रकाश हुडला और सुखबीर सिंह के खिलाफ एसीबी ने प्रकरण दर्ज किया है, वे अशोक गहलोत के पक्के समर्थक माने जा रहे थे।

असल में इस सियासी खेल में मोड़ तब आया जब कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से दर्ज मामले में एस.ओ.जी. ने उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को दिनांक 10 जुलाई को पत्र जारी कर अपने बयान दर्ज करवाने को कहा। इसे लेकर पायलट 12 विधायकों के साथ दिल्ली आलाकमान के पास पहुंचे।

सचिन पायलट की उबाल मारती महत्वाकाक्षां से अब अशोक गहलोत पूरा हिसाब-किताब कर लेने के फेर में हैं। क्या सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह जा पायेंगे?

सियासत को न कोरोना का भय है न मंदी की मार। तभी तो चुना गया जनप्रतिनिधि ‘संख्यां’ बन कर कभी घोड़े तो कभी बकरे के भाव काम आता है। ऐसे में लोकतंत्र जीवित कैसे रह सकता है, वह तो धन और बाहुबल का हेतु बनकर निजी महत्वकाक्षां की भेंट चढ़कर ‘‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’’ में लोप जाता है।

– राम चन्द्र शर्मा 

 

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