24 साल बाद मायावती-मुलायम एक मंच पर,कितनी बदलेगी उत्तरप्रदेश की राजनीति

 

यूपी में 24 साल बाद बहनजी और नेताजी के एक साथ आने के बाद अब प्रदेश में राजनीति की तस्वीर साफ हो गई है.

यह बहुत बड़ा सामाजिक समीकरण हैं, जिसमें दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी के बाद इसे रोक पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा.

बाकी जनता मालिक है लोकतंत्र में. जिसे चाहे जिता दे, जिसे चाहे हरा दे.

सपा और बसपा ने अपनी पिछली कड़वाहट भुलाई है, यह महत्वपूर्ण है. इस कड़वाहट का बुरा असर दलितों और पिछड़ों दोनों ने झेला है. सपा राज में दलितों और बसपा राज में पिछड़ों का काफी अहित हुआ है.

इसके अलावा दोनों दलों को जीतने के लिए सवर्णों की शरण में जाना पड़ा था क्योंकि दोनों दलों का अपना वोट बैंक इन्हें जिताने के लिए काफी साबित नहीं हो पा रहा था.

इस वजह से दोनों दलों की राजनीति में काफी विकृतियां आ गईं थी, जिससे देश भर के आंबेडकरवादी और लोहियावादी निराश हो रहे थे.

अब उनकी कई शिकायतें दूर हो सकती हैं.

अब बसपा और सपा के साथ आने के बाद सवर्णों की लल्लो -चप्पो करने की दोनों की मजबूरी खत्म हो गई है.

इस सभा में मायावती और अखिलेश यादव दोनों ने नरेंद्र मोदी को नकली ओबीसी कहा है. ये लोकसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन सकता है.

इसके अलावा इस रैली में बहनजी ने घोषणा की है कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी आरक्षण लागू करेंगी,

-दिलीप मंडल

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