JIH ने चलाया इस्तक़बाल-ए-रमज़ान अभियान,रोजे की अहमियत बताई

ब्यावर। जमाअते इस्लामी हिन्द, ज़िला-अजमेर, ब्यावर व राजसमन्द द्वारा 2 मार्च से 11 मार्च तक 10 दिवसीय “इस्तकबाल-ए-रमजानुल मुबारक” अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को रमजान माह की अहमियत और फ़जिलत से अवगत कराना था।

इस अभियान के तहत कार्यकर्ताओं ने गांवों और शहरों में लोगों से मुलाकातें कीं, जलसों और जुमे की नमाज़ों में तकरीरें कीं, स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित किए, और सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हजारों लोगों तक रमजान माह के संदेश को पहुंचाया।

इक़रा पब्लिक माध्यमिक विद्यालय ब्यावर में कार्यक्रम

इस अभियान के तहत सोमवार को इक़रा पब्लिक माध्यमिक विद्यालय ब्यावर में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुमताज़ अली, सहसचिव जमाअते इस्लामी हिन्द, राजस्थान ने की। मुख्य अतिथि महबूब खान, डायरेक्टर इक़रा पब्लिक माध्यमिक विद्यालय ब्यावर थे, और विशिष्ट अतिथि हाफ़िज़ मुहम्मद इम्तियाज और सद्दाम खान थे।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने रोज़े की अहमियत और फ़जिलत पर प्रकाश डाला।

हाफ़िज़ मुहम्मद इम्तियाज ने कहा कि रोज़ा एक ऐसी इबादत है जो हर मुस्लिम मर्द और औरत पर फ़र्ज है। इसे रखने पर बड़ा अज्रो-सवाब है और नहीं रखने पर सजा और अजाब है। उन्होंने कहा कि रोज़ा हर ज़माने और दौर में सभी मौकों और बिरादरियों पर किसी ना किसी रूप में फ़र्ज और अनिवार्य रहा है।

महबूब खान ने कहा कि यह रोज़ों का महीना हमारे लिए एक तरीके से ट्रेनिंग का महीना है। क्योंकि जब हम रोज़ा रखकर न झूठ बोलेंगे, न ग़ीबत, चुगली, गाली-गलौज करेंगे और न ही किसी तरह के फास और बेहयाई के काम करेंगे तो फिर हम 11 महीने भी बुराईयों से बचें रहेंगे।

मुमताज़ अली ने कहा कि इस बाबरकत रमजान माह की खास खूबी यह है कि ईश्वर (अल्लाह) ने अपने जितने भी दूतों पर अपने ग्रंथ उतारे सभी को इसी माह में उतारे और आखिर में क़ुरआन मजीद भी हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) पर इसी माह में उतारा जो पूरी मानव जाति को जीवन गुजारने का तरीका बताता है।

सद्दाम खान ने भी अपनी बातें रखीं और सेन्टपाल स्कूल ब्यावर के 9वीं कक्षा के स्टूडेंट फैजान खान ने भी रोज़े की हैमियत और उसकी फ़जिलत पर अपनी तक़रीर पेश की।

कार्यक्रम में मौजूद लोगों से अपील की गई कि वे इस बाबरकत माह में पंच वक़्त नमाज़ों, रोज़ों, तरावीह, क़ुरआन पढ़ने और जकात, सदका और खैरात करने का पूरा-पूरा अहतमाम करें।

इस मौके पर इरफान खान, मुहम्मद अमजद, हमीद खान, रियाज काठात, मुहम्मद जावेद, फैजान खान, आसिफ काठात, आरिफ काठात, बालकिशन बानो, बिस्मिल्लाह, आफदीन बानो, तम्मन्ना, अफ़रोज़ बानो, आयशा,अनीशा व अन्य लोग मौजूद थे।

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