गहलोत सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले दिल्ली क्यों पहुंचे?

राजनीति के चतुर खिलाड़ी व जोड़-तोड़ करके तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनने मे सफल रहने वाले अशोक गहलोत पर राजस्थान की सभी पच्चीस लोकसभा सीटो पर कांग्रेस की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बढ़ते दबाव के बीच पच्चीस मई को देश भर में कांग्रेस के हार के कारणो को लेकर होने वाली सीडब्ल्यूसी बैठक मे मंथन होने से एक दिन पहले गहलोत अचानक दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर रहे है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 1998 मे परसराम मदेरणा को अलग थलग करके दिल्ली की ताकत पर स्वयं को मुख्यमंत्री बनवाने के बाद राजस्थान का जाट समाज उनसे अभी तक खार खाये हुए है। जिसकी वजह से कांग्रेस दिन ब दिन प्रदेश मे कमजोर होती जा रही है।

2018 के विधानसभा चुनाव मे साफ लग रहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता मे आती है तो सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन 1998 व 2003 की तरह दिल्ली मे मोजूद कोकस के मार्फत अशोक गहलोत फिर तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे ।

एक मात्र माली विधायक होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने मे सफल होने का परिणाम लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस का सफाया होने के रुप मे सामने आया।

जाटो की पहले से नाराजगी व गुज्जरो की अब बनी नाराजगी के अलावा मुस्लिम व दलित समुदाय की उदासीनता के चलते खराब लोकसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस को राजस्थान मे देखने पड़े है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अचानक दिल्ली पहुंच कर ऐआईसीसी दफ्तर मे राजस्थान प्रभारी महामंत्री अविनाश पाण्डे, ओमान चांडी, मोतीलाल बोहरा व संगठन महामत्री केसी वेणुगोपाल के साथ अलग अलग बैठक कर रहे है। गहलोत का और नेताओं से मिलने का कार्यक्रम भी बता रहे है।

ऐआईसीसी मे पत्रकारों से बात करते हुए महासचिव अविनाश पाण्डे ने मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे वैभव गहलोत व राजस्थान की सभी पच्चीस सीटो पर कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुये अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की सम्भावना के पूछने पर पाण्डेय ने त्याग पत्र देने से साफ इंकार करते हुये कहा कि हार की जिम्मेवारी केवल गहलोत की ना होकर सभी पार्टी नेताओं की सयुंक्त रुप से बनती है।

मुख्यमंत्री गहलोत के एक दिन पहले दिल्ली जाकर अपने उपर त्याग पत्र के बढते दबाव को दूर करने के अलावा कल सीडब्ल्यूसी की होने वाली बैठक मे उनसे सम्बंधित किसी तरह की बात नही उठने देने मे उनके नेताओं से मिलने के बाद उन्हें सफलता मिलती नजर आ रही है।

 सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी अपने पद से औपचारिक रूप से त्यागपत्र देने की पैशकश कर सकते हैं। लेकिन सभी नेताओं के एक मत से हार की सयुंक्त रुप से जिम्मेदारी लेते हुये राहुल गांधी के त्याग पत्र की पैशकश को ठूकराए जाने की सम्भावना जताई जा रही है।

-अशफ़ाक़ कायमखानी

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक है)

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