अब शायद किसी दूसरी दुनियाँ में लग रही होगी कलाम सर की क्लास !


कलाम सर की क्लास !

देश के महान वैज्ञानिक, अभियंता, शिक्षक और भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवे राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि अपने देश की कुछ सबसे बड़ी गौरव गाथाओं में से एक को याद करने का दिन है।

‘जनता के अपने राष्ट्रपति’ और ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जाने जाने वाले डॉ कलाम की तमिलनाडु के गरीब मछुआरे परिवार से देश के राष्ट्रपति की कुर्सी तक की यात्रा किसी परीकथा जैसी रोमांचक लगती है।

अपनी मिट्टी से गढ़ा हुआ एक ऐसा व्यक्ति जिसे समुद्र ने विशालता और गहराई दी। बच्चों की मासूमियत ने भोलापन दिया। प्रकृति ने निश्छलता। संगीत और कविता ने संस्कार। ज्ञान ने विवेक। आसमान ने सपने दिए। पक्षियों नें परवाज़ अता की। और इस तरह से भारत में बना एक अद्भुत, अद्वितीय कलाम।

एक ‘अग्नि-पुरूष’ जिसकी आग ने हम सबको शीतलता का अहसास दिया I अपनी विद्वता, वैज्ञानिक दृष्टि, दूरदर्शिता, लेखकीय क्षमता और मृदु स्वभाव के कारण वे अपने देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे हैं। वर्तमान भारत में वे बच्चों और युवाओं के आखिरी ‘रोल मॉडल’ थे।

कहीं दूर आकाश में बैठे अकेले , उदास ईश्वर को उनकी जीवंतता, सादगी और उजली हंसी शायद बहुत भा गई। अब शायद किसी दूसरी दुनिया में लग रही होगी कलाम सर की क्लास !

पुण्यतिथि पर खिराज़-ए-अक़ीदत,कलाम सर ! कभी अगर ईश्वर से मुलाक़ात हुई तो उनसे एक सवाल ज़रूर पूछना कि अरसे से उसने आप जैसे प्यारे-प्यारे लोगों को भारत में भेजना क्यों बंद कर रखा है

-ध्रुव गुप्त

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