छात्र संगठन एसआईओ ने दिया मदरसा पैरा टीचर्स के आंदोलन को समर्थन!

मदरसा शिक्षा सहयोगियों के साथ गहलोत सरकार का रवैया क्रूर एवं अन्यायपूर्ण : मुसद्दिक मुबीन

आसमान छूती महंगाई और बढ़ती हुई ज़रूरतो के बावजूद मदरसा शिक्षा सहयोगीयों को दिया जाने वाला मानदेय महज़ एक मज़ाक के सिवा कुछ भी नहीं है।

वहीं सरकार का यह रवैया अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के साथ भेदभाव को भी दर्शाता है।

प्रशिक्षित अध्यापकों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय अतीत की बंधुवा मज़दूरी प्रणाली का नया अध्याय है।


एसआईओ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मुसद्दिक मुबीन ने ‘संविदा प्रणाली’ पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि आख़िर संविदा प्रणाली की आवश्यकता ही क्या है?

जब आप के पास संस्थान हैं , खाली जगह हैं , प्रशिक्षित अध्यापक हैं , तो उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यह साफ साफ सरकारों की नीयत में खोट को दर्शाता है।

गहलोत सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘जो सरकार अपने घोषणा पत्र के वादों को ही गम्भीरता से ना लेती हों वो जनभावनाओं को कैसे गम्भीरता से लेगी ?


उन्होंने गहलोत सरकार से अपील की कि ‘युवाओं को “टेकन फ़ॉर ग्रांटेड” लेना बंद करे और अपने चुनावी वादों को पूरा करे। मदरसा शिक्षा सहयोगियों को परमानेंट करें और उनका मानदेय बढ़ाएं।

मदरसा शिक्षा सहयोगियों से संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हम उनकी जाएज़ मांगों के साथ हैं’ उनके साथ एकता व्यक्त करते है और उनके आंदोलन को समर्थन देते हैं।

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