जयपुर में हुआ साम्प्रदायिकता विरोधी सम्मेलन, प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार के समक्ष रखी कई मांग


दलित-आदिवासी-अल्पसंख्यक दमन प्रतिरोध आंदोलन के भागीदार जनसंगठनों, सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों की ओर से 22 सितम्बर को स्वामी कुमारानन्द सभागार में “साम्प्रदायिकता विरोधी सम्मेलन” आयोजित किया गया जिसमें उपस्थित जनसमूह ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार से मांग की है कि संवेदनशील इलाकों में सांप्रदायिक संगठनों और व्यक्तियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाए और उन्हें पाबंद किया जाए।

– बिना अनुमति के निकलने वाले धार्मिक एवं जातीय जुलूसों, सोभयात्राओ तथा अन्य आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए। इसके अलावा जब इस तरह के आयोजनों के लिए अनुमति देना आवश्यक हो तब विशेष रूप उन आयोजनों के इतिहास और पृष्ठभूमि की की विशेष रूप से पड़ताल की जाए। साथ आयोजन करने वालों की पृष्ठभूमि, आर्थिक संसाधनों के स्रोत आदि की भी गहन पड़ताल की जाए।

– सार्वजनिक स्थानों, सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में धर्म, समुदाय अथवा जाति विशेष के आयोजनों पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाया जाए।

– घोषित रूप से सांप्रदायिक गतिविधियों को को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाया जाए।

– इन आयोजनों में माइक, डीजे, ढोल-मंजीरे आदि के इस्तेमाल पर या तो पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाया जाए और या फिर उनके आयोजन स्थल के परिसर तक ही इन यंत्रों की ध्वनि का विस्तार हो यह सुनिश्चित करें। निजी आयोजनों में इन सबके इस्तेमाल को अपने घर के भीतर तक ही आवाजें जा सकें ऐसे नियम बना कर उनका व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए जनता को इसके कारणों के बारे में जागरूक किया जाए। उसके पश्चात इन नियमों के बिना किसी भेदभाव के लागू किया जाए।

– धार्मिक, सामुदायिक और निजी सभी प्रकार के समारोहों में हथियारों के प्रदर्शन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए।

– इन कार्यक्रमों के आयोजकों से इनके लिये आर्थिक सहायता, वैचारिक तथा राजनीतिक मदद करने वालों के नाम सार्वजनिक करने तथा किसी भी अप्रिय स्थिति पैदा होने, तनाव या दंगे होने की स्थिती में इनकी भी लिखित जबावदेही सुनिश्चित की जाए।

4.- किसी समुदाय विशेष के आयोजनों तथा यात्राओं को दूसरे समुदाय के बहुलता वाले इलाकों में से निकल तनाव भड़काने की अनुमति नहीं दी जाये।

5.- ऐसे धार्मिक स्थलों पर जो दूसरे समुदाय के बाहुल्य वाले इलाकोंं में हैं या जहां मिली-जुली आबादी रहती हैं ऐसे स्थानों पर स्थानीय लोगों की संयुक्त समितियों का गठन करते हुए उनकी राय मशविरा के आधार पर उन इलाकों शांति एवं साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाल कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाने चाहिए।

6.- सोशल-मीडिया पर अथवा अन्य किसी भी माध्यम से अफवाहें फैलाने वालों का पता लगाने,उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

7.- सार्वजनिक स्थानों यथा पार्क, खेल मैदान, स्टेडियम, धार्मिक स्थल, निजी अथवा सरकारी शिक्षण संस्थानों, छात्रावासों सरकारी भवनों आदि में किसी भी धर्म, समुदाय अथवा जाति विशेष के आयोजनों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाये।

8.- सरकारी अधिकारियों,कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों, सार्वजनिक निकायों आदि के कार्मिकों के जातीय, सांप्रदायिक संगठनों में शामिल होने, उनके कार्यक्रमों,आयोजनों में भाग लेने पर रोक लगाई जाए, तुरंत प्रभाव से सेवामुक्त किया जाए।

9.- राजस्थान में घोषित रूप से साम्प्रदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले सभी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाये। इनकी तमाम गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने तथा उनकी सम्पत्तियों को जब्त किया जाये।

– जाति-विशेष, धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर भवनों, शिक्षा, चिकित्सा या अन्य संस्थानों, छात्रावासों, धर्मशालाओं, शमशान स्थलों आदि सभी प्रकार के निर्माणों को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए। संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध सार्वजनिक संस्थाएं और भवन ही हों ये सुनिश्चित किया जाए।

10.- भ्रष्ट, दागी, सांप्रदायिक एवं जातिवादी मानसिकता वाले अधिकारियों तथा पुलिस कर्मियों को पुलिस थानों से तथा अन्य फील्ड पोस्टिंग से हटाया जाए और ऐसे सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को चिन्हित करते हुए इनके सम्बन्ध में देश के संविधान के प्रावधानों के बारे में उन्हें शिक्षित- प्रशिक्षित किया जाए। उसके पश्चात भी यदि उनकी मानसिकता में बदलाव नहीं आता है तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

11:- सभी थानों और सीधे जनता से संपर्क वाले विभागों में समुचित अनुपात में वंचित तबकों दलित,आदिवासियों,अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं को नियुक्तियां की जाए और ऐसे संवेदनशील इलाकों तथा घटनाओं में जांच के टीमों में भी प्रभारी तथा सदस्यों में इन वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाये।

12.- प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों- कर्मचारियों की कानूनी जवाबदेही सुनिश्चित की जाए । जिला-कलेक्टर, पुलिस-कमिश्नर और एस.पी. को जिले के लिए , एएसपी- डीएसपी को तहसील के लिए, थाना प्रभारी को थाना क्षेत्र के लिए, बीट प्रभारी को बीट के इलाके की सभी प्रकार की घटनाओं के लिए व्यक्तिश: जिम्मेवार माना जायेगा और उसे किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक तनाव, झगड़े, दंगे की स्थिति में व्यक्तिश: जिम्मेवारी के हिसाब से कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। ये सुनिश्चित किया जाना चाहिये और ऐसे अधिकारियों को अपनी ड्यूटी में व्यक्तिश: लापरवाही बरतने के हिसाब से कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा जिसमें सेवामुक्ती का भी प्रावधान होना चाहिए। तो हमारा विश्वास है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने में पूर्ण सफलता मिल सकती है।

13.- सभी चौकियों, थानों सहित सभी गाँव, कस्बों, तहसील,जिला तथा राज्यस्तर तक जनता के ईमानदार, कर्मठ, निस्वार्थ सामाजिक संगठनों, जन संगठनों एवं सभी राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए पुलिस जन जबावदेही कमेटियों का गठन करते हुए पुलिस का जनतांत्रिकरण किया जाये। इन कमेटियों के लिए सभी स्तरों पर यदि जनता की बिना किसी पूर्वाग्रह और निष्पक्ष भागीदारी होगी तो राज्य में कानून व्यवस्था और साम्प्रदायिक ताकतों, जातीय भेदभाव को रोकने में सफलता मिलेगी।

14.- भारत के संविधान के सिद्धांतों, उसके नीति निर्देशक तत्वों, भारत के हर नागरिक के संविधान प्रदत्त अमूल्य मूल अधिकरों और कर्तव्यों के बारे में सरकार द्वारा लगातार सघन प्रचार अभियान चलाया जाना चाहिए। इन अभियानों में विविध प्रकार के सामाजिक भेदभाव, लैंगिक उत्पीड़न, अवैज्ञानिक दृष्टिकोण के खिलाफ भी जनचेतना पैदा करने की आवश्यकता है।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा लाड कुमारी जैन, अप्सो की राज्य सचिव सुनीता चतुर्वेदी, समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह, बौद्ध महासभा के टी.सी राहुल(सेवा निवृत्त न्यायाधीश), एन ए पी एम के केलश मीणा, जमाते इस्लामी हिन्द के डॉ. इकबाल सिद्दीकी के अध्यक्ष मंडल ने की।

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता विक्रम सिंह कहा कि सांप्रदायिक ताकतों ने देश के बेरोजगारी, भुखमरी, आर्थिक मंदी के भयावह दौर में पहुंचा दिया है, और हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए आज देश की विविधता में एकता और संविधान पर सीधा हमला कर रही हैं। आज हमारा लोकतंत्र भी खतरे में है। इन ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष की आवश्यकता है।

सम्मेलन को लाड कुमारी जैन, सुनीता चतुर्वेदी ,सवाई सिंह, टी.सी राहुल (सेवा निवृत्त न्यायाधीश), केलश मीणा, डॉ. इकबाल सिद्दीकी, सी पी आई के राज्य सचिव नरेन्द्र आचार्य, जिला सचिव आमीन अली, प्रलेस के प्रेम चन्द गांधी, जलेस के राजीव गुप्ता, किसान सभा के गुरुचन मोड़,महत्ता राम काल, शैलेन्द्र अवस्थी ( समाजवादी नेता), एडवोकेट प्रेम किशन शर्मा, सीटू के किशन सिंघ राठौड़, याकूब खान, आदि नेताओ ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने जयपुर शहर में आये दिन बातों को लेकर हो रहे सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं पर चिंता प्रकट करते हुए राज्य सरकार के प्रयासों को नाकाफी और असफल बताया और तय किया कि हम सब मिलकर जयपुर के शान्ति और भाईचारे को बचाने का काम करेंगे।

सम्मेलन में भावी कार्यक्रम निम्नानुसार तय किए गए –

1:- अतिशीघ्र एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और पुलिस महनिदेशक को मिलकर ज्ञापन दिया जायेगा।

2.- शहर के सभी वार्डो/मोहल्लों में साम्प्रदायिकता विरोधी सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

3:- मोहल्लवार शान्ति व सद्भावना कमेटियों का आयोजन किया जाएगा। और साम्प्रदायिकता तथा संकीर्णतावाद के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।

4:- संविधान तथा आजादी के संघर्ष की विरासत के बारे में बताया जाए।

5:- सरकार से मांग की जायेगी कि वो अपने सभी प्रचार माध्यमों, संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए जन जागरण अभियान चलाये।इस अभियान में संविधान के प्रावधानों तथा आजादी के संघर्ष की विरासत के बारे में बताया जाए। का. सुमित्रा चोपड़ा ने प्रस्ताव रखा तथा अनिल गोस्वामी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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