कोटा के वकील फ़ैसल को UP पुलिस ने रखा अवैध तरीक़े से जेल में, करंट लगाया गालियाँ दीं!


एडवोकेट मोहम्मद फ़ैसल राजस्थान के कोटा ज़िले में रामगंज मंडी तहसील के मोड़क स्टेशन के रहने वाले हैं!वे क़ानूनी सहायता प्रदाता और मानवाधिकारों के संरक्षण करने वाली संस्था एन सी एच आर ओ के साथ जुड़े हुए हैं!

नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में UP समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उत्तर प्रदेश में कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंसा हुई है!हिंसा के आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस पर भी लगे हैं !

कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं राजनैतिक पार्टियों से जुड़े कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं की अवैध अवैध गिरफ्तारियां भी शामिल हैं!

मोहम्मद फ़ैसल कि उक्त संस्था के द्वारा चलाए जा रही क़ानूनी मदद अभियान के तहत एक उत्तर प्रदेश के कैराना में गए थे। जहाँ उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया !

एडवोकेट मोहम्मद फ़ैसल ने जनमानस से बातचीत में बताया कि”19 दिसंबर 2019 की बात है मैं जब दिल्ली एन सी एच आर ओ ऑफ़िस पहुँचा तो वहाँ सूचना मिली कि UP के कैराना,शामली में बड़े पैमाने पर अवैध गिरफ़्तारी हो रही है जो एक सामान्य कॉल था कि सभी अधिवक्ता क़ानूनी मदद के लिए वहाँ पहुँचे!

तो एन सी एच आर अो ने उस कॉल को स्वीकार किया और मुझे दिल्ली एन सी एच आर ओ ऑफ़िस से 19 दिसंबर 2019 को लोगों की क़ानूनी मदद वह पैरवी के लिए कैराना जिला शामली भेज दिया गया!

मैं 19 दिसंबर 2019 को दोपहर 1 बजे कैराना न्यायालय पहुँचा और वहाँ पीड़ित व्यक्तियों व स्थानीय ऐडवोकेट से मुलाक़ात कर जानकारी प्राप्त हुई कि कुछ लोगों को 18 दिसंबर 2019 की रात में घर से उठा लिया गया था!

जिनका पुलिस ने शांतिभंग का चालान किया था और पुलिस स्टेशन पर ही सारी कार्रवाई करके धारा 107 आौर 151 में जुडिशल कस्टडी में भेज दिया गया था!

जब हमें पता चला कि पीड़ित व्यक्तियों को SDM के समक्ष पेश नहीं करके पुलिस थाना कोतवाली कैराना से मुज़फ़्फ़रनगर जेल में भेज दिया गया है तो फिर हमने अगले दिन दिनांक 20 दिसंबर 2019 को ज़मानत प्रार्थना पत्र SDM का न्यायालय में पेश किया जिस पर SDM साहब के नहीं आने पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी !

फिर अगले दिन 21 दिसंबर 2019 को कैराना अदालत में चुनाव होने की वजह से कार्य स्थगित रहा तो मैं उस दिन दिल्ली चला गया! फिर मैं 23 दिसंबर 2019 को दिल्ली से वापस कैराना न्यायालय पहुँचा!

वहाँ स्थानीय ऐडवोकेट के साथ SDM न्यायालय पहुँचकर ज़मानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए कहा तो जवाब मिला कि अभी कोई आदेश नहीं किया उसके बाद हम क़ानूनी कार्रवाई में लग गये!

जब शाम को 5 बजे न्यायालय में स्थानीय ऐडवोकेट के साथ बात कर रहे थे तब अचानक सिविल ड्रेस में एस ओ जी की टीम व पुलिसकर्मी आते हैं और मुझे वह मेरे 3 अन्य साथियों को गिरफ़्तार करने लगते हैं जब मैंने विरोध किया कि मैं अधिवक्ता हूँ तो कहते हैं की तहक़ीक़ात कर के छोड़ देंगे लेकिन वे थाना कोतवाली कैराना शामली ले जाकर पूछताछ करते हैं !

जब मेरे द्वारा उनको मेरा राजस्थान बार असोसिएशन अधिवक्ता कार्ड दिखाया गया तो उन्होंने कहा कि “ये फ़र्ज़ी है तुम कोई अधिवक्ता नहीं हो तुम पश्चिम बंगाल से यहाँ दंगा फैलाने आए हो जब मेरे द्वारा उनको अपना पता बताया गया तो उन्होंने कहा कि तेरी बोली पश्चिम बंगाल की है और मुझसे कहा कि तू दंगाइयों की मदद करने के लिए आया है उन्होंने मेरे साथ पूछताछ के दौरान गंदी गंदी गालियां दीं और लात घूसों से मारपीट करते रहे और पट्टे से भी मारा वह पीठ पर करंट लगाया इस तरह एक घंटे तक मुझे मानसिक व शारीरिक टॉर्चर करते रहे!”

और फिर मुझे लॉकअप में डाल दिया और एक फ़र्ज़ी मुकदमें में मुझे गिरफ़्तार दिखाकर 24 दिसंबर 2019 को CJM न्यायालय कैराना के समक्ष पेश किया गया जहाँ मेरा ज़मानत प्रार्थना पत्र पेश किया गया!

जिस पर उस दिन सुनवाई न होकर 1 जनवरी 2020 को सुनवाई तय की गई फिर मुझे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया !

जब मैं जेल में था तो न्यूज़ पेपर में मुझे खलनायक के रूप में पेश किया गया और फिर 2 जनवरी 2020 को मेरा ज़मानत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया गया तथा न्यायालय द्वारा तस्दीक़शूदा ज़मानत के आदेश दिए गये!

फिर जनवरी 2020 को मेरी रिहाई हो जाती है इस प्रकार कुल चौदह दिन मुझे बिना वजह जेल में रखकर मेरे साथ ज़्यादती की गई मेरे साथ हुई यह कार्रवाई अत्यंत दुखद व अन्यायपूर्ण है इससे मेरा बचाव करने का अधिकार और मेरे मुवक्किल के बचाव का अधिकार दोनों ही ख़त्म हो गये!

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