आख़िर आस्ट्रेलिया में क्यूँ मौत के घाट उतारे जा रहे हैं लाखों ऊँट !


बीते चार महीनों से आग की तबाही से जूझ रहे ऑस्ट्रेलिया में अब नया मामला सामने आया है जिसने वैश्विक स्तर पर सभी का ध्यान खींचा है !

सितंबर महीने से लगी इस आग ने ऑस्ट्रेलिया में 50 करोड़ से अधिक जीव जंतुओं को जलाकर राख कर दिया है तथा दो दर्जन से अधिक लोग इस आग में मारे जा चुके है फिर क्यों अब ऑस्ट्रेलिया में ऊँटो को मौत के घाट उतारा जा रहा है!

दरअसल ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग नई नहीं है पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे है वर्ष 2009 में भी इससे 180 लोगों की जान गयी थी तथा 2013 में भी ऊँटो के मारने का मामला सामने आया था जिसकी वैश्विक स्तर पर आलोचना हुई थी इस बार भी दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में स्थानीय सरकार ने 5 दिनों के अंदर 10 हज़ार ऊँटो को मारने का आदेश दिया है जिन्हें हेलीकाप्टर से पेशेवर शूटरों द्वारा गोली मारकर मारा जा रहा है ।

आखिर क्यों किया जा रहा है ऊँटो का कत्ल

अपनी जैव विविधता के लिए मशहूर ऑस्ट्रेलिया के लिए साल 2019 सूखे का साल रहा ऐसे में पहले से पानी के संकट से जूझते ऑस्ट्रेलिया में आग ने इस संकट और बढ़ा दिया स्तिथि यहाँ तक आ पहुँची है कि लोग AC का पानी एकत्र कर पीने को मजबूर हो रहे हैं ऐसे में पानी के संकट से जीव जंतु मानवीय वस्तियों की तफर रुख करने लगे हैं स्थानीय निवासियों के अनुसार ऊंट जंगलो से घरों की तरफ बढ़ रहे हैं और एकत्रित पानी को पी रहे हैं तथा उनकी संपत्ति को नुकसान पहुँचा रहे हैं ऐसे में उनको खत्म करने का कदम उठाया जा रहा है ।

सरकार के मुताविक सूखाग्रस्त इलाकों में पीने के पानी को बचाने के लिए 10 हज़ार ऊँटो को मारने का आदेश दिया गया है । ऊँटो की बढ़ती जनसंख्या भी देश के लिए समस्या बन रही है जो कि मीथेन उत्सर्जन करते हैं जो प्रतिवर्ष एक टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के बराबर है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है ।

कभी बाहर से मंगवाए गए थे ऊंट

एक समय था जब ऑस्ट्रेलिया में ऊँटो की कमी थी और इसके लिए ऊँटो को बाहर से मंगवाया गया था । 1890 – 1910 तक सामानों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए अरेबियन छेत्र , मध्य एशिया और भारत से ऊँटो को ऑस्ट्रेलिया ले जाया गया था परंतु 1920 के दशक के बाद गाड़ियों के प्रभाव बढ़ने से इन्हें जंगलो में छोड़ दिया गया !

जिन्हें FERD CAMELS के नाम से जाना जाता है आज ऑस्ट्रेलिया में इन ऊँटो की संख्या 1 मिलियन से अधिक पहुँच गयी है जो कि देश के लिए खतरा बनी हुई है !

भास्कर शर्मा

(युवा लेखक हैं और हरिदेव जोशी जनसंचार और पत्रकारिता यूनिवर्सिटी जयपुर में परास्नातक के छात्र हैं)

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