मतदाता सूचियों मे खामियां,राजस्थान में वैध मतदाताओं के नाम ही गायब

मतदाता सूचियों मे खामिया, राजस्थान में वैध मतदाताओं के गायब होने की कहानी

जयपुर में 17 सितम्बर, सोमवार को अरूणा रॉय (मजदूर किसान शक्ति संगठन), जिग्नेश मेवानी (स्वतंत्र विधायक, गुजरात विधान सभा), अबू सलेह शरीफ (सामाजिक वैज्ञानिक व सच्चर समिति के पूर्व सदस्य), कविता श्रीवास्तव (पी.यू.सी.एल. राजस्थान), इंजीनियर राशिद हुसैन (जमाअते इस्लामी हिन्द,राजस्थान) व अन्य लोगों ने विनोबा ज्ञान मंदिर में प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित कर मामले की जानकारी दी।

राजस्थान के अनेक संगठन व सेन्टर फॉर रिसर्च एण्ड डिबेट इन डवलमेन्ट पालिसी के साथ कुछ समय से मतदाता सूचियों की जांच कर रहे हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजस्थान की वेबसाईट www.ceo.rajasthan.nic.in में सितम्बर माह 2018 के पहले सप्ताह में मतदाता सूचियां प्राप्त की गई व 3 विधान सभा क्षेत्र जयपुर शहर, टोंक व गंगापुर विधान सभा क्षेत्र के लिए जांच व विश्लेषण किया गया।

चौकाने वाले तथ्यःहवामहल विधान सभा क्षेत्र के मतदाता सूची का विश्लेष्ण

मतदाता सूचियों के वि’लेषण से एक बडी खामी जो निकली वह एकल मतदाता घरों की। कुल मिलाकर मतदाता सूची में 418526 घर हैं। इसमें 14356 घर ऐसे निकले जो एकल मतदाता घर थे यानि की 34.2 प्रतिशत घरों में सिर्फ एक ही पंजीकृत मतदाता निकला।

जनगणना 2011 के मुताबिक राजस्थान में कुल 1,25,81,303 (एक करोड़, पचीस लाख, इक्यासी हजार, तीन सौ तीन) घर है। जिसमें कुल मिलाकर 2.77 प्रतिशत एकल सदस्य घर हैं। जिसमें 2.66 प्रतिशत एकल सदस्य घर ग्रामीण क्षेत्र में हैं व 3.11 प्रतिशत घर शहरी राजस्थान के एकल सदस्य घर हैं। जयपुर जिला का आंकडा राज्य आंकडे से और भी कम हैं। जिसमें 2.41 प्रतिशत ही एकल सदस्य घर हैं। जयपुर ग्रामीण में तो सिर्फ 1.85 प्रतिशत एकल सदस्य घर हैं व शहरी क्षेत्र में 2.86 प्रतिशत एकल सदस्य घर हैं। मतदाता सूची में यह आंकडा 16 गुणा ज्यादा हैं। स्पष्ट है कि यह प्रशासन व निर्वाचन विभाग के अधिकारी की घोर लापरवाही व अक्षमता के कारण हैं।

पिछले दो दिनों जब जमीनी स्तर पर इन एकल सदस्य घरों की जांच शास्त्री नगर क्षेत्र, भट्टा बस्ती, नाहरी का नाका, हरिजन बस्ती चावडिया क्षेत्र में की गई तो हमने पाया कि लगभग 90 मतदाता गायब थे, जो कि वैध थे। इसी तरह के विश्लेषण टोंक शहर व गंगापुर विधान सभा क्षेत्र में भी पाया गया। निर्वाचन आयोग, सिविल सोसायटी व मीडिया को मिलकर काम करना होगा। इस तरह के गायब मतदाताओं के संवेधानिक अधिकार पूनः स्थापित किये जाये।

मई 2018 में कर्नाटका में भी मतदाता सूचियों में 5 करोड मतदाताओं में से 86 लाख मतदाता गायब हो गये थे। इन्हीं शौधकर्ताओं ने विश्लेषण कर निर्वाचन आयोग को सूचित किया और चुनाव के 3 हफ्ते पहले तक सूचियां का अन्तिम रूप दिया गया और 15 लाख मतदाताओं पुनः स्थापित किया गया।

हमारी मांग बहुत स्पष्ट हैः

मुख्य निर्वाचन आयोग को अपने राज्य निर्वाचन व जिले निर्वाचन अधिकारीयों के जरिये विशेष वार्ड सभाओं का आयोजन पूरे राज्य में किया जाना चाहिए जिससे की जनता स्वंय शामिल हो सके और अपना पंजिकरण पुनः करवा सके।

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