पूरे देश से एटीएम में कैश न होने की ख़बर आती है आपको शक नहीं होता!

देश से एटीएम में कैश न होने की ख़बर आती है…
आपको शक़ नहीं होता!
मक्का मस्जिद धमाके का जज, फैसला सुना कर दफ्तर से इस्तीफ़ा देते हुए निकलता है…
आपको शक़ नहीं होता!
कठुआ मामले में 12 घण्टे में मीडिया अपनी लाइन बदल कर, पुलिस की सुबूतों के साथ दाखिल की गई चार्जशीट के उलट, नया नैरेटिव ले आता है…
आपको शक़ नहीं होता!
सरकार आधार कार्ड अनिवार्य करने के बाद, आपके सेट टॉप बॉक्स में भी निगरानी चिप लगाना चाहती है…
आपको शक़ नहीं होता!
अमित शाह के मामले की सुनवाई कर रहे जज की संदिग्ध मौत होती है और उसका बेटा बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस में आकर कहता है कि उसे यक़ीन है कि उसके पिता की मौत प्राकृतिक थी…
आपको शक़ नहीं होता!
सीबीएसई के पेपर लीक के आरोपी सत्ताधारी दल से जुड़े होते हैं…
आपको शक़ नहीं होता!
सरकारी उद्यमो को जानबूझ कर तबाह किया जाता है, जिससे निजी कंपनियों को फायदा हो…
आपको शक़ नहीं होता!
माल्या, नीरव मोदी निकल लेते हैं…अडानी को कर्जा मिल जाता है…
आपको शक़ नहीं होता!
पाकिस्तान से दुश्मनी, अचानक शुरू हो कर, अचानक ख़त्म हो जाती है…
आपको शक़ नहीं होता!
नोटबन्दी से काला धन ख़त्म नहीं होता…न ही कोई बेईमान बर्बाद हो जाता है…
आपको शक़ नहीं होता!
केंद्रीय मंत्री संविधान बदलने की बात कह कर भी मंत्री बनाया रहता है…
आपको शक़ नहीं होता!
बार-बार असल मुद्दों की बात होते ही, कोई धार्मिक राग छेड़ दिया जाता है…
आपको शक़ नहीं होता!
सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वाले हर व्यक्ति को, बिना तार्किक कारण, देशद्रोही घोषित कर दिया जाए…
आपको शक़ नहीं होता!
लेकिन
विपक्ष सरकार का विरोध कर रहा है…जो उसका काम ही है…ये लोकतंत्र ही है…
आपको शक़ होता है!
स्त्री, दलित, नौजवान आज़ादी मांगे, अपने अधिकार मांगे…
आपको शक़ होता है!
शिक्षा बजट में कटौती का विरोध किया जाए, स्कालरशिप मांगी जाए…
आपको शक़ होता है!
साम्प्रदायिकता का विरोध हो और धर्मनिरपेक्षता की बात हो…
आपको शक़ होता है!
बाल, मजदूर, महिला, दलित, आदिवासी, गरीब अपने अधिकार की मांग करे….
आपको शक़ होता है!
जैसे ही कोई किसान या मजदूर या गरीब की बात करे…
आपको शक़ होता है!
जैसे ही कोई, अतार्किक या असमय जारी सरकारी फरमानों, नीतियों पर सवाल करे…
आपको शक़ होता है!
लोकतंत्र और असहमति के शब्द बोले जाते ही, अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात होते ही…
आपको शक़ होता है!
अंधविश्वास का विरोध होते ही, जातिवाद का विरोध होते ही, न्याय का सवाल उठते ही…
आपको शक़ होता है!
एक समुदाय विशेष के तो हर शख्स पर ही, बिना किसी सबूत, तथ्य, वजह के…
आपको शक़ होता है!
इसलिए जब मेरे विदेशी मित्र मेरे देश और समाज को लेकर सवाल खड़े करते हैं…
मुझे शक़ नहीं होता!!!!
जब आप कहते हैं कि सब ठीक तो है, यहां तक कि आपकी मानसिक स्थिति भी…
मुझे शक़ होता है!!!!

मयंक सक्सेना लिखित….

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