दिल्ली में जमे नेताओं को फ़ोन करो तो बोलते हैं -चिंता मत करो ,टिकट तो अपनी जेब में हैं

कितनी दूर हो सूचि ?

दिल्ली की सियासतगाहों पर आजकल यह नज़ारा आम है, हालांकि हर अभ्यर्थी खुद को किसी न किसी नेता का खास उल खास कह रहे है।

बुरी तरह हिले हुए टिकटार्थी भी फील्ड से आने वाले हर फोन का जवाब इतने कॉन्फिडेंस से देते है कि कॉन्फिडेंस का स्वयं का आत्मविश्वास दरक जाता है – चिंता मत करो ,टिकट तो अपनी जेब में हैं ।

हकीकत में टिकट किस जेब मे है ,किसी को कुछ पता नहीं है,एक दल की लिस्ट आ चुकी है,कुछ छोटी मोटी पार्टियों की लिस्टें भी बार बार जारी हो रही है,पर सवा सौ साला पार्टी की लिस्ट जारी नहीं हो रही है ।

यह देरी अब लोकरंजन का विषय बन चुकी है,नए नए जोक गढ़े जा रहे है,लोग कह रहे है कि इनकी लिस्ट 7 दिसम्बर के बाद आएगी,ताकि किसी पर दोषारोपण न करना पड़े।

मीडिया पूछ रहा है – सूचि कब आयेगी ? नेता एक दूसरे को फोन कर रहे है कि सूचि कब तक आ जायेगी ?

सूचि में इतनी रुचि कभी नहीं देखी गई, आज हर कोई यह जानने को आतुर है कि सूचि कब आयेगी ? दूसरी तरफ जिनके कब्जे में सूचि है,वो कुछ बता ही नहीं रहे है,कहते है कि जल्द आ जायेगी, कभी भी आ सकती है ,इनकी आज कल उम्मीदवारों की जान लिए जा रही है ।

सूचि में हो रही देरी का फायदा कुछ वो लोग भी उठा रहे है,जिनका कहीं नामोनिशान तक नहीं है,वे भी खबरें छपवा रहे है कि हमारा नाम ही पैनल में आखिरी है,सिंगल नाम ,कभी भी हो सकती है घोषणा ।

बार बार सूचि आने की अंधाधुंध घोषणाओं के मद्देनजर फैली उत्तेजना से डरी सूचि ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया है कि वो दिन के उजाले में नहीं आयेगी, वो ऐसे वक्त दबे पांव आएगी ,जब अभ्यर्थी और उनके उद्दंड समर्थक नींद के आगोश में होंगे ,पर उत्साही सियासतदां सूचि को जल्द से जल्द लाने में जुट गये है,बताया जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने सूचि को अंतिम रूप दे दिया है ।

उधर गांव से लेकर दिल्ली तक हाहाकारी कोलाहल मचा हुआ है,सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक ही सवाल तैर रहा है – सूचि तुम कब आओगी ?

-भंवर मेघवंशी
( संपादक -शून्यकाल )

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