तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती तीन साल बाद भी कोर्ट विवाद में लंबित

राजस्थान मे हमैशा विवादो मे रहने वाली तृतीय श्रैणी शिक्षक भर्ती परीक्षा एक बार फिर से कई सारे विवादो मे एक साथ घिर गई है. भर्ती कराने वाले विभाग और सरकार की गलत नितियो के कारण लाखो बेरोजगारो का भविष्‍य दॉव पर लग गया है.

गौरतलब है की 2013 मे बेरोजगारों से टैट खत्म करने का वादा करके भाजपा राजस्थान मे सरकार बनाने मे कामयाब हुई. यह फैसला सरकार के लिए तो फायदेमंद रहा लेकिन बेरोजगारों के गले की फांस बन गया. सरकार ने टैट खत्म करने के बजाय उसका नाम बदसकर रीट कर दिया और उसी की मेरीट के आधार पर भर्ती कराने का निर्णय ले लिया. चूंकि रीट एक पात्रता परीक्षा थी जिसका पुरा पाठ्यक्रम टैट का ही था इसलिए अभ्यर्थियों ने टैट की तरह ही रीट को भी उत्तीर्ण कर लिया.
रीट परीक्षा कराने के बाद सरकार ने बिना नियम कायदो के शिक्षको की भर्ती जारी कर दी जिसके अन्तर्गत किसी भी संकाय का विधार्थी किसी भी विषय के लिए आवेदन कर सकता है. परिणामस्वरूप भर्ती हमैशा की तरह फिर से कोर्ट की शरण मे चली गई. कुछ महीनो बाद याचिकाकर्ता मनीष मोहन बोहरा एंव अन्य अभ्यर्थियों की जीत हुई जिसमे उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रेजोंग ने सरकार को आदेश दिया कि वह अभ्यर्थियों द्वारा आवेदित विषय को स्नातक मे अनिवार्य रूप से लागू करे और रीट मे भाषा के चयन के आधार पर किसी अभ्यर्थी को भर्ती से वंचित नही करे. साथ ही अगले चार महीने मे भलीभांति प्रकार से नियम बनाकर नई विज्ञप्ति जारी करने का आदेश दिया.
चार महीने बाद सरकार ने फिर से विज्ञप्ति जारी की जिसमे आवेदित विषय को तो स्नातक मे शामिल कर लिया लेकिन जानबुझकर रीट मे भाषा चयन की शर्त लगाकर न्यायलय के आदेश की अवहेलना की और अभ्यर्थियों को फिर से कोर्ट जाने को मजबूर कर दिया.
अब तो स्थिति एेसी हो गई है कि अँग्रेजी से ही उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण छात्रो ने अँग्रेजी मे ही स्नातक किया और अँग्रेजी मे ही बी.एड किया लेकिन रीट के नियम स्पष्ट नही होने के कारण रीट मे अँग्रेजी को नही चुनना छात्रो के लिए अभिशाप बन गया.
दिसंबर 2016 मे मनीष मोहन बोहरा एंव अन्य की तरफ से न्यायलय मे भाषा विवाद को लेकर फिर याचिका दायर की गई जिसमे माननीय उच्चतम न्यायालय के पूर्व फैसलै को आधार बनाकर विभाग के फैसलै को चुनौती दी गई. जिसके कारण भर्ती अभी तक भी कोर्ट में है और सरकार जवाब देने से बचने के लिए पिछले तीन महीने से मामले को टालमटोल कर रही है सरकार की इस लापरवाही से हजारो बेरोजगारो पर सम्पूर्ण योग्यता होते हुए भी सवाल उठ रहे है . 2016 की याचिका को 2018 आने पर भी परिणाम का अभी तक इंतजार है. आठ फरवरी 2018 को फैसला आना था लेकिन फैसलै की जगह फिर से अगली तारीख देकर अगले दिन परिणाम जारी कर काउंसलिंग का कार्यक्रम भी जारी कर दिया. अब हालात ये बन चुकै है की अँग्रेजी मे पुरी डिग्रीया होने और रीट परीक्षा मे अच्छे अंक होने के बाद भी अभ्यर्थी बेरोजगार है. वर्तमान मे एक और तो चयनित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग जारी है तो दुसरी और न्यायालय मे कई याचिकाओ पर एक के बाद एक सुनवाई चल रही है.
– *नासिर शाह (सूफी)*

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