क्या कांग्रेस के निशान पर चुनाव ना लड़ने वाले मुस्लिम प्रत्याशी भाजपा एजेंट हैं

.. भारत के राजनीतिक इतिहास मे जब जब तीसरे फ्रंट से मुस्लिम उम्मीदवार बन कर चुनावी क्षेत्र मे आकर चुनौती बनता है। तब तब अपनी आदत व साज़िश के अनुसार मुस्लिम लीडरशिप को उभरने से पहले उसकी कच्ची मौत कर स्वयं का ऐकाधिकार कायम रखने की मंशा के तहत उस मुस्लिम उम्मीदवार को कांग्रेसजन व कांग्रेस उम्मीदवार के खास एक्सपर्ट लोग घूम घूम भाजपा को जिताने के लिये खड़ा होने की झूठी अफवाहों को फैलाने का काम चंद टको की चाहत पर करते आये हैं!
आज भी राजस्थान के अनेक हिस्सो मे कर रहे है। जिनको शिक्षित होते मुस्लिम समुदाय ने ठीक से समझते हुये उनके बुने जाल के ताने बाने को कतर कर पाकसाफ मुस्लिम लीडरशिप को पनपने लगा है।
हालांकि मुस्लिम समुदाय की लीडरशिप को भाजपा हर स्तर पर कुचलने पर आमादा नजर आती है। दूसरी तरफ कांग्रेस भी कमोबेश भाजपा की लाईन पर चलते हुये उनसे अलग हटकर साफ सूथरी काबिल मुस्लिम लीडरशिप को उभरने से पहले उसको नेस्तनाबूद करने का प्लान बनाकर बडे मिठास के साथ अपने खास गूर्गो के मार्फत समाज मे झूठी झूठी अफवाहें फैलाकर अपना उल्लू सीधा करने मे कोई अवसर चुकते नही है। कांग्रेस नेता अपने स्तर पर मुस्लिम लीडरशिप पनपाने भरपूर कोशिश करते जरुर है। लेकिन मामूली पढी लिखी व किसी ना किसी रुप मेमुस्लिम लीडरशिप को समय दर समय बदल बदल कर उभारते रहने का नाटक करते हुये घुलमिल छवि को सामने रखते है ताकि उनके सामने चेलेंज कभी ना बन पाये।
कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस की उक्त तरह की लाख कोशिशे करने के बावजूद नामी समाजी खिदमतगुजार व घर घर शिक्षा की अलख जगाने वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार वाहिद चोहान अन्य उम्मीदवारो से काफी आगे निकल गये है।
इसके अलावा कामाँ से युवा नेता मक़सूद ख़ान और कोटा उत्तर से नईम आज़ाद भी भाजपा कांग्रेस के लिए चुनौती बन कर सामने आए है!
उनके साथ मुस्लिम मतदाताओं के साथ साथ किसान व दलित मतदाता मतदान करने को उतावला नजर आ रहे है।

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