क्या अशोक गहलोत ने पाँच वर्षों में राजस्थान में कोई काम नहीं किया

राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. लेकिन इस वक़्त राजस्थान में सबसे बड़ा सवाल ये है कि सुबह का मुख्यमंत्री कौनहोगा. मुख्यमंत्री पद के लिए PCC चीफ़ सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत के बीच दौड़ जारी है.सचिन पायलट के समर्थकों की दलील है कि सचिनपायलेटयुवाहैं.उन्होंनेपिछले 5सालों में कांग्रेस को राजस्थान में ताक़तवर बनाया है.
2013 में 21 सीटों पर सिमट गई कांग्रेस में जान भरने के लिए सचिन पायलट ने पूरे राज्य में दौरे किए.मायूस हो चुके कार्यकर्ताओं मेंजोशभरा.पिछलेसाल हुए उपचुनावों में कांग्रेसकोजीतदिलायी.इसलिए मुख्यमंत्री पद पर सबसे ज़्यादा अगर किसी का हक़ है तो वो है सचिन पायलट.
वहीं अशोक गहलोत के समर्थक इस बात पर ज़ोर देते हैं कि अशोक गहलोत अनुभवी हैं. वो इस बात को नकारते हैं अशोक गहलोत ने इन पाँच सालों में राजस्थान में काम नहीं किया. राजस्थान प्रदेश कार्यालय के सामने एक गहलोत समर्थक कहते हैं “अशोक गहलोत सूबे में सचिन पायलट के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया चाहे उपचुनावों में प्रचार की बात हो या फिर सरकार के ख़िलाफ़ कोई विरोध अशोक गहलोत उस मंच पर दिखे जिस पर तमाम सूबे के नेता मौजूद रहे यह कहना बेमानी है कि अशोक गहलोत ने पिछले पाँच वर्षों में राजस्थान की धरा पर कोई काम न किया हो”
कांग्रेस के कुछ निष्पक्ष कार्यकर्ताओं की राय है कि सचिन पायलट को सूबे की कमान दी जाए इसकी तली लिए है कि सचिन पायलेट जवान हैं और राजस्थान में कांग्रेस को एक नया नेता मिलने की पूरी संभावनाएं हैं वहीं वो गहलोत के लिए कहते हैं कि गहलोत चुनावी रणनीति में माहिर हैं उन्हें कांग्रेस को केंद्र में आवश्यकता है.अशोक गहलोत को कर्नाटक में चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा गया था जहाँ उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया गुजरात में भी अशोक गहलोत की चुनावी रणनीति की हर तरफ़ चर्चाएँ रहीं.
कुछ का कहना है कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद सचिन पायलट को दे देना चाहिए क्योंकि वो सुबह के दो बार पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकि कहते हैं कि सियासत में कोई साधु बनने नहीं आता.
अशोक गहलोत ज़रूर चाहेंगे कि वो सूबे के मुख्यमंत्री बनें. लेकिन फ़िलहाल ये सब कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर करता है कि वो राजस्थान में मुख्यमंत्री की कमान किसी देते हैं.
अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने में सबसे बड़ी इस दलील ये है कि कांग्रेस के पास बहुमत से एक सीट कम है और अशोक गहलोत इस की किनारे पर आए बहुमत में सरकार को अच्छे से चला सकते हैं!
मुख्यमंत्री पद पर किसी को बिठाने से पहले कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनावों के समीकरणों पर भी ध्यान ज़रूररखेगी.इस बात काअंदेशाहै कि अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया गया तो जाट और मीणा नाराज़ हो सकते हैं.
हालाँकि सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाने की बातें भी सियासत के बाज़ार में गर्म है. लेकिन कहा जा रहा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री जो भी होगा राजस्थान ने आप सरकार तो कांग्रेस की आ ही गई है.

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