इंसाफ क़ासिम को भी चाहिए और समयदीन को भी

-नदीम ख़ान

पिलखुवा में माब लीनचिंग का मामला 18 जून सोमवार को 1 बजे के आस पास हुआ 2 बजे के आस पास हुआ तकरीबन 3.30बजे परिवार को मालुम चला, कासिम के साथ घायल हुए समयदीन के परिवार को पुलिस वाले 6 घण्टे टहलाते रहे कभी इस अस्पताल का एड्रेस बताते कभी कही और का जब उनके परिवार ने पुलिस के मुताबिक FIR में साइन कर दिया तब उनको वो (समयदीन) किस अस्पताल में है ये बताया गया।
जब परिवार समयदीन से अस्पताल में मिला तो उनके अंगूठे में स्याही का निशान था मतलब सारी कार्यवाही पुलिस ने अपने हिसाब से कर लिया था.
FIR लिखी गयी बेनामी यानी कोई नामजद नही ओर तो और माब लीनचिंग के इस केस में FIR लिखी गयी रोड रेज की. कहा गया कि ये दोनो सड़क में पैदल जा रहे थे एक मोटरसाइकिल वाले ने टक्कर मार दिया जिसमें झगड़ा हुआ और एक कि जान चली गयी और एक घायल हुआ.
सही FIR को लेकर न कोई धरना, न प्रदर्शन, कुछ नही हुआ. न ही पुलिस वालों ने मृत कासिम को किस तरह खींचा इसपे कोई बात हुई. पूरा कस्बा मुर्दे के तह शांत रहा.
अगले दिन मंगल को मैं (नदीम खान) सुबह जब पहुचा तो दोनों परिवारों में किसी के पास FIR की कॉपी नही थी. बीबीसी से फैसल साथ मे थे उन्होंने स्टोरी की.  पुलिस वालों ने घायल आदमी को कैसे खींचा ये भी SP से बात हुई. मीडिया में हंगामा हुआ तो वो तीन पुलिस वाले लाइन हाजिर रहे. लेकिन पिलखुवा के लोग खामोश रहे.
बृहस्पति(गुरुवार) को फिर SP से मिले उनसे कहा कि माबलीनचिंग के मामले को रोड रेज कैसे कह सकते है तो उन्होंने बे सिर पैर का जवाब दिया कि धाराएं तो एक जैसी है.
कल सुबह समयदीन के बड़े भाई ने सुबूत के तौर पे वीडियो दिया कि कैसे उनके भाई की पिटाई हो रही है. उसके बाद फिर से पुलिस से बात की गयी, ये भी कहा गया कि ये वीडियो भी उन्ही लोगो ने अपलोड किया था जिन्होंने समयदीन की पिटाई की इसलिए दुबारा नामजद fir करिये, लेकिन पुलिस टालमटोल करती रही. उसके बाद उस वीडियो की चर्चा प्रेस कॉन्फ्रेंस में समयदीन के भाई मेहरुद्दीन ने की. द वायर और द सिटीजन, टाइम्स ऑफ इंडिया को प्रेस कांफ्रेंस में ही वीडियो दे दिया गया और बाकी मीडिया हाउस को बाद में व्हाट्स एप्प किया गया. रात 10 बजे मिरर नाउ के शो में भी मैंने (नदीम खान) उसका ज़िक्र किया और तन्वी को भी भेजा.
उसके बाद फेसबुक पर भी चला. बाद में मालूम चला कुछ लोगो ने कहा कही इसको देख कर कुछ हो न जाये इस वीडियो को फेसबुक में क्यो डाल दिया गया? जिस टाइम ये ज्ञान दिया उसी वक़्त पिलखुवा के वकील जो लोग पकड़े गये है उनको छुड़ाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. उनके नज़दीक मारा गया आदमी गाय काट रहा था और दूसरा उसका साथी था भीड़ की पिटाई के बाद वो अपने आप मर गया, वकील कह रहे है कि वो गाय का मामला था पुलिस कह रही है कि रोड एक्सीडेंट था. दलाल कह रहे है कुछ न करो ना कुछ दबाव बनाओ वरना माहौल खराब हो जाएगा और आप लोग बाहर के है मामला नही समझते.
इंसाफ क़ासिम को भी चाहिए और समयदीन को भी. FIR बदलने के लिए और केस को ट्रांसफर करने के लिए सब कुछ करेंगे और पिछले 4 दिन में मैं (नदीम खान) तीन दिन वही था. कोई बताए जो गलत FIR को लेकर किसी से मिला हो कुछ किया हो. ऊपर से ये सब डायलॉग की कुछ किया तो साम्प्रदयिक सदभाव बिगड़ जाएगा, दंगा हो जाएगा, गंगा जमुनी तहजीब खतरे में आ जायेगी. कुछ लोगो का कहना है कि वीडियो देख कर वो (गंगा जमुनी तहजीब) खतरे में आ गयी. वीडियो न डालते तो ये बच जाती, तो भाई साहब इस तरह के डायलॉग पूरे देश मे पुलिस के दलाल देते है.
एक आदमी को मार दिया गया, एक 62 साल के बुज़ुर्ग को पूरे जिस्म में निशान देकर ICU भेज दिया गया. आपकी गैरत नही जागी और वीडियो देख कर आपको समस्या हो गयी. आप जाने आपकी समस्या जाने अगर पुलिस ने FIR नही बदली नामजद नही बनाया तो इस तरह का जो भी वीडियो है वो सोशल मीडिया,मेन स्ट्रीम में भी दिया जाएगा. धरना प्रदर्शन सब कुछ होगा, आप दलाली करते रहिएगा और गंगा जमनी बचाते रहिएगा. माहौल खराब होने के झूठे ड्रामे से इंसाफ का गला नही घोटा जा सकता.
फ़ोटो में पुलिस की मौजूदगी में भीड़ मृतक कासिम को घसीट रही है.

(ये लेख नदीम खान की फेसबुक वॉल से हूबहू कॉपी किया गया है, नदीम खान एक सामाजिक कार्यकर्ता है जो कि United Against Hate संस्था के संस्थापक सदस्य है जो कि देश मे होने वाली मोब्लिंचिंग की घटनाओं को रोकने और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए बनाई गई थी)

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