अचानक क्यों सुलग रहा है शांत रहने वाला दक्षिणी राजस्थान का आदिवासी इलाका ?


आमतौर पर शांत रहने वाला दक्षिणी राजस्थान का आदिवासी इलाका अचानक से सुलग रहा है. क्या यह किसी बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट तो नहीं है. आदिवासी अक्सर मुख्यधारा से दूर शांति से रहते आए हैं. इनके अपने ही नियम, कायदे कानून और परंपराएं होती हैं। पिछले कुछ समय से यहां राजनीतिक रूप से हलचल हो रही है जिसका नतीजा है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां पहली बार चुनाव लड़ते हुए भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. हाल ही में प्रदेश में उपजे राजनीतिक संकट में भी बीटीपी ने अहम भूमिका अदा करते हुए गहलोत सरकार को सशर्त समर्थन दिया था.

अब राजस्थान के इस शांत इलाके के डूंगरपुर जिले में आदिवासी प्रदर्शनकारी शिक्षक भर्ती के अनारक्षित 1167 पदों को एसटी वर्ग से भरने की मांग कर रहे हैं जिसको लेकर 7 सितंबर से आंदोलन जारी है. गुरुवार से आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया उसके बाद लगातार तीसरे दिन शनिवार को भी हिंसक प्रदर्शन जारी है।

उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे के 10 किमी इलाके में तनाव बना हुआ है। आंदोलनकारी हाईवे और आसपास की पहाड़ियों पर डटे हुए हैं। पुलिस ने अब तक 700 लोगों पर केस दर्ज किया है।

उग्र प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों ने अब तक 7 कंटेनरों समेत 30 वाहनों को आग के हवाले कर दिया है। पथराव में कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। सरकार ने जयपुर ग्रामीण एसपी शंकर दत्त शर्मा को स्पेशल ड्यूटी पर लगाया है।

क्या चाहते हैं प्रदर्शनकारी?

प्रदर्शन करने वाले आदिवासी युवा शिक्षक भर्ती 2018 के अनारक्षित 1167 पदों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से भरने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर डूंगरपुर में कांकरी डूंगरी में आदिवासी युवा 7 सितम्बर से आंदोलन कर रहे थे।

उग्र क्यों हुए अभ्यर्थी 

24 सितंबर को टीएसपी क्षेत्र के इस मुद्दे को लेकर बैठक होनी थी, लेकिन एक दिन पहले 23 सितंबर को संयुक्त शासन सचिव नेहा गिरी ने बैठक स्थगन की सूचना का पत्र जारी कर दिया। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

जिसके बाद काकरी डूंगरी पहाड़ी पर विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी आक्रोशित हो गए। अभ्यर्थियों को लगा कि इस मुद्दे को लगातार टाला जा रहा है। इस पर गुरुवार को अभ्यर्थियों ने हाईवे जाम कर दिया। अभ्यर्थियों के समर्थन में बड़ी संख्या में आस पास के गांवों के आदिवासी भी एकत्र हो गए जिससे हालात और विकट हो गए।

आंदोलनकारी आदिवासी युवाओं का नेतृत्व कर रहे नरेन्द्र मानात ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “उदयपुर के खेरवाड़ा तहसील के पास काकरी डूंगरी पर अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के 1167 अभ्यार्थी अपनी नियुक्ति तृतीय श्रेणी शिक्षक 2018 में करवाने के लिए पिछले 20 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. यह 1167 पद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा रीट परीक्षा में 60% अंक नहीं लाने के कारण सामान्य वर्ग के रिक्त रह गए थे, जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग को रीट परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 36% अंक लाना जरूरी है. सभी आंदोलनकारी अभ्यार्थी रीट परीक्षा में पास होने के बाद भी इन्हें सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति से रोका जा रहा है जबकि नियम अनुसार और राज्य सरकार की विज्ञप्ति के अनुसार अगर कोई अनुसूचित जनजाति वर्ग का व्यक्ति अधिक नंबर लाता है तो उन्हें सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति मिलनी चाहिए. हमारी मांग यही है कि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी हो. जब टीएसपी क्षेत्र में 95% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति वर्ग की है तो उन्हें 45% आरक्षण किस आधार पर दिया गया है जबकि नियमानुसार उन्हें 95% आरक्षण मिलना चाहिए था जब आप सामान्य वर्ग के 2% लोगों को 50% आरक्षण इस तरीके से आरक्षित कर देंगे तो सीटें तो खाली रहना स्वाभाविक है. जहां उनकी संख्या ही नहीं है वहां सामान्य वर्ग की 50% सीटें रख रहे हैं इसीलिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं. आदिवासी समुदाय के युवा इसलिए आंदोलन कर रहे हैं कि सरकार को रिक्त पदों पर आदिवासी वर्ग के लोगों को नियुक्ति देना चाहिए”

इस पूरे मामले पर भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के स्थानीय विधायक राजकुमार रौत ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि, ” आदिवासी युवा पिछले 18 दिन से संवैधानिक रूप से अपनी मांगों को मनवाने के लिए पहाड़ी पर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। 24 सितम्बर को आंदोलनकारियों के साथ सरकार के प्रतिनिधियों की मीटिंग होने वाली थी जिसे अचानक से कैंसिल कर दिया गया, जब मीटिंग रद्द होने का लेटर सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के पास पहुंचा तब युवा पहाड़ी से उतर कर सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर हो गए. युवाओं की मांग संवैधानिक है जिस पर सरकार का रुख साफ नहीं है. पुलिस आस पास के गांवों के लोगों को लगातार गिरफ्तार कर रही है. हमारी मांग है कि गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को जल्द रिहा किया जाए. प्रशासन को आंदोलनकारी युवाओं पर लाठीचार्ज नहीं करना चाहिए था इससे आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया.”

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले पर ट्वीट कर के कहा है कि “डूंगरपुर में उपद्रव एवं हिंसक प्रदर्शन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विरोध करने के संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल हो,शांतिपूर्ण प्रदर्शन हों लेकिन कानून को अपने हाथ में लेने का किसी को अधिकार नहीं है।प्रदर्शनकारियों से मेरी अपील है कृपया शांति एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।”

भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा है कि, ” TSP क्षेत्र में शिक्षकों के 1167 पदों पर ST के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की बजाय सरकार इस मामले में डूंगरपुर कांकर डूंगरी पर लोकतांत्रिक ढंग से धरना दे रहे आदिवासी छात्रों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई कर रही है. आदिवासियों के आंदोलन को कुचलने की बजाय,सरकार वार्ता करे यदि सरकार ने रवैया नहीं बदला तो मुझे मजबूर हो कर सड़कों पर उतरना पड़ेगा.”

वहीं बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद कनकमल कटारा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर यह मांग की है कि आंदोलनकारियों की मांग को नहीं माना जाए और सामान्य वर्ग की रिक्त सीटों को अनुसूचित जनजाति से नहीं भरा जाए.

शनिवार शाम को CWC मेम्बर और उदयपुर के पूर्व सांसद रघुवीर मीणा के निवास पर आंदोलनकारियों के प्रतिनिधि मण्डल और जनजाति क्षेत्रीय विकास (TAD) मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के बीच वार्ता हुई. वार्ता में बांसवाड़ा डूंगरपुर के पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा, बीटीपी विधायक रामप्रसाद डिंडोर और विधायक राजकुमार रौत ने भी हिस्सा लिया. यह वार्ता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची लेकिन सभी जनजाति नेताओं ने एक सुर में आंदोलनकारियों से शांति कायम करने की मांग की है.

(साभार – इंडिया टूमारो न्यूज पोर्टल )


 

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