सवाईमाधोपुर-टोंक लोकसभा के जातीय गणित किस पार्टी को बना रहे हैं मज़बूत!


टोंक सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरीया को उतारा है.

वहीं कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा को प्रत्याशी बनाया
है.
2013 के विधानसभा चुनाव में टोंक सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट में आने वाली आठों विधान सभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने क़ब्ज़ा किया था.

लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ़ एक सीट ही जीत पाई.
और वह सीट थी मालपुरा की सीट.नमोनारायण मीणा दो बार सांसद रह चुके हैं.

2004 में वो सवाई माधोपुर करोली से सांसद का चुनाव जीते थे उसके बाद परिसीमन में यह सीट 2009 में सवाईमाधोपुर टोंक हो गई!

2009 में भी नमोनारायण मीणा यहाँ से चुनाव जीते थे.उस समय उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला थे जो कि गुर्जर संघर्ष समिति की अध्यक्ष हैं!



हालाँकि भाजपा में जाने के बाद उन्हें संघर्ष समिति के अध्यक्ष पद से निष्कासित कर दिया है!
और अब वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं.

सुखबीर सिंह जौनपुर क्या राजस्थान के निवासी नहीं हैं हालाँकि 2014 में जब देश में मोदी लहर की बात की जा रही थी तब जौनपुरीया टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव जीते थे.

अगर जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहाँ दोनों ही दलों ने जातिगत समीकरणों के हिसाब से ही टिकट दिए हैं.

यहाँ मीणा गुर्जर मुस्लिम और दलित मतदाता जीत हार में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.जहाँ गुर्जर मतदाता 4 लाख के लगभग है वहीं मीणा भी 4 लाख ही हैं!

मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 3 लाख है.वहीं दो लाख के क़रीब दलित मतदाता एक लाख राजपूत और 80 हज़ार माली मतदाताओं की तादाद है.वही 2 लाख अन्य जातियाँ हैं.

टोंक सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा टोंक में रेल लाने का है इसके लिए लंबे समय से टोंक के लोग संघर्ष कर रहे हैं!

हालाँकि केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने इसकी शुरुआत कर दी थी लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है.

सुखबीर सिंह जौनपुरिया के ऊपर सवाईमाधोपुर टोंक लोक सभा क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की आरोप भी लगे हैं!

नमोनारायण मीणा ने जौनपुरिया के बाहरी होने का भी दाँव खेल रखा है उनका कहना है कि सवाईमाधोपुर टोंक कोई चारागाह नहीं है कि कोई भी आएँ और चर कर चला जाए!

नमोनारायण मीणा के लिए सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह है की 8 में से सात विधान सभा सीटों पर कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी.



और देवली उनियारा विधान सभा से तो ख़ुद उनके भाई हरीश मीणा विधायक हैं.

तमाम जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर हालाँकि यह सीट कांग्रेस के लिए एक मज़बूत क़िले की तरह दिखाई दे रही है.

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