थानाग़ाज़ी की ह्रदयविदारक घटना के बाद सरकारी तंत्र की अर्थी क्यूँ नहीं उठ जाती


अलवर थानागाजी में एक दलित युवती के साथ अपने मंगेतर के सामने पांच हैवानों द्वारा की गई दरिंदगी की एफआईआर को पढ़कर और खबरें सुनकर निःशब्द हो चुका हूँ।

सोशल मीडिया पर वायरल किये जा रहे फ़ोटो और वीडियो के हिस्सों को तो देखने की मुझमें ताकत भी नहीं है,न ही इस जघन्य कांड पर लिखने के लिए बड़ी पोस्ट हैं।

पुलिस की गलती साफ साफ नजर आ रही है,अब दौड़ भाग करके एक दरिंदे को पकड़ लिया है,एसपी को एपीओ कर दिया है,कईं टीमें बना दी,यह सब लीपापोती है,जब वक्त था,तब कुछ नहीं किया,जिसके चलते यह अंजाम भुगतना पड़ा उन निर्दोषों को,जिनका कोई कसूर न था।

दरअसल कानून का राज और व्यवस्था का इक़बाल बचा ही नहीं है,पुलिस खुद एक संगठित गिरोह के रूप में काम करती है,दोषियों को पूरा मौका देती है ,ताकि वे सुरक्षित भाग सकें।

पूरे मुल्क में इस घटना से आक्रोश है,राजस्थान में विगत दिनों सीकर में विवाहिता को उठा ले गए,लगभग हर रोज मासूम बालिकाओं के साथ ज्यादती हो रही है,कठोर कार्यवाही के अभाव में हैवान सरेआम ,बेख़ौफ अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दे रहे हैं।

अब और बर्दाश्त क्यों किया जाना चाहिए,किसका इंतज़ार करेंगे हम,इसलिए अच्छा ही है,जो भी ,जिस भी तरीके से प्रतिकार करने के लिए उठ खड़े हो रहे हैं,वे ठीक ही कर रहे हैं।

आचार संहिता की आड़ में पुलिस प्रशासन ने अपने नाकारापन को साबित कर दिया है,पूरा थाना ही सस्पेंड हो,पीड़ित युगल को न्याय,सुरक्षा,राहत व पुनर्वास मिले, वे मान सम्मान के साथ शेष जिंदगी जी पाएं,इसके इंतज़ामात हों तथा आरोपी दरिंदे बच न पाएं,इसकी पूरी व्यवस्था करनी होगी।

हम चुप नहीं बैठेंगे,लड़ेंगे इन ज्यादतियों के खिलाफ़ ,इस ख़ौफ़नाक माहौल के ख़िलाफ़ ,इन अमानवीय जघन्यतम घटनाओं के विरुद्ध।

हम लड़ेंगे साथी ..!

-भंवर मेघवंशी
(संपादक -शून्यकाल )

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