सुप्रीम कोर्ट के आने वाले 4 फ़ैसले, जो बदल सकते हैं देश की हवा !


सुप्रीम कोर्ट पर इन दिनों पूरे देश की नजर है क्योंकि कुछ ही दिनों में देश के सबसे बड़े विवादित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला आ सकता है। आपको बता दें कि इस फैसले के अलावा भी कुछ अहम मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसले सुना सकता है जिनके बाद देश के हालातों में काफी बदलाव होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

वर्तमान सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को पद से रिटायर होने वाले हैं जिसके जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 18 नवंबर से पद संभालेंगे।

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद

देश की राजनीति और आवाम इन दिनों जिस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रही है वो है अयोध्या विवाद. यह ऐतिहासिक फैसला 4-15 नवंबर के बीच कभी भी आ सकता है जिसे पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच सुनाएगी।

गौरतलब है कि देश का चार दशक से भी पुराना यह विवाद राजनीतिक और धार्मिक हर मायने में अहम है।

रफ़ाल

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुद्दा रफाल सौदा पर भी सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई गोगोई अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले  फैसला सुनाएंगे। इस मामले पर तीन जजों की बेंच फैसला सुनाएगी।

आपको बता दें कि इससे पहले रफ़ाल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 केंद्र सरकार को क्लीन चिट जारी की थी, जिसके बाद इस फैसले की समीक्षा करने के लिए कई याचिकाएं दायर हुई।

इन याचिकाओं में पूर्व मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह जैसे नाम शामिल हैं।

सबरीमाला मंदिर

केरल के सबरीमला अय्यपा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पिछले दिनों काफी हो-हल्ला हुआ जिसके बाद आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर आखिरी फैसला सुनाएगा।

मालूम हो कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर, 2018 को दिए फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने का हक दिया था जिसके बाद फैसले की समीक्षा के लिए 60 याचिकाएं दायर हुई। इन याचिकाओं में नायर सर्विस सोसायटी (NSS) और मंदिर के पुजारी भी शामिल हैं।

मुख्य न्यायाधीश कार्यालय का RTI दायरे में आना ?

आने वाले 2 हफ़्तों में सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर भी फैसला सुनाने जा रही है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय RTI (सूचना के अधिकार) के दायरे में लाना चाहिए या नहीं।

इस मामले पर सुनवाई करने वाली संवैधानिक बेंच की अगुवाई भी जस्टिस गोगोई ही कर रहे हैं। आपको बता दें कि सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने सीजेआई ऑफ़िस को आरटीआई में लाने की याचिका दाखिल की थी।

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