राजस्थान के सबसे पुराने चर्च में हुआ रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित

ब्यावर। सदभाव मंच ब्यावर तथा जमाअत ए इस्लामी हिंद ब्यावर के संयुक्त तत्वावधान में सन 1872 में निर्मित राजस्थान के पहले व ऐतिहासिक शूल ब्रेड मेमोरियल चर्च, ब्यावर में पादरी प्रेम प्रकाश का विदाई समारोह तथा रोजा इफ्तार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समारोह में शूल ब्रेड मेमोरियल चर्च के पादरी प्रेम प्रकाश का ब्यावर से नसीराबाद स्थानांतरण होने के कारण सद्भाव मंच के सदस्यों द्वारा भावभीनी विदाई दी गई।

कार्यक्रम के दौरान पादरी प्रेम प्रकाश का सद्भाव मंच के सदस्यों द्वारा साफा एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया।

 इस अवसर पर सद्भाव मंच के सदस्य डॉ० जावेद हुसैन ने समारोह का संचालन करते हुए पादरी प्रेम प्रकाश को उनके नसीराबाद के चर्च में स्थानांतरण होने पर शुभकामनाएं देते हुए उनके नए स्थान पर उज्जवल भविष्य एवं स्वस्थ जीवन की कामना की। उनके द्वारा शूल ब्रेड मेमोरियल चर्च ब्यावर में किए गए सराहनीय कार्य एवं सद्भाव मंच ब्यावर के सदस्य एवं मसीह समाज के धर्म गुरु तथा प्रतिनिधि के रूप में उनके सहयोग, सद्भाव ,समन्वय एवं सकारात्मक सोच की सराहना की।

डॉ० जावेद हुसैन ने इस कार्यक्रम में रमजान एवं रोजे के महत्व पर बोलते हुए बताया की रमजान का महीना पवित्र एवं पाक महीना है। इसी महीने में ईश्वर ने अपना अंतिम ईश्वरीय ग्रंथ, कुरआन अपने अंतिम ईशदूत हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित किया, जो समस्त मानव जाति के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी ईश्वर ने विभिन्न काल में अपने विभिन्न ईशदूतों पर रमजान के ही पवित्र माह में अपनी ईशवाणी एवं ईश ग्रंथ अवतरित किये। जिसमें ईसा अलैहिस्सलाम पर बाइबल, मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरात, दाउद अलेहिस्सलाम पर ज़बूर तथा इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर सहीफे अवतरित किये। 

उन्होंने बताया इस महीने में सभी मुसलमानों पर पूरे महीने के रोजे रखना अनिवार्य है। रोजे को अरबी में  सौम कहा जाता है, जिसका अर्थ है रुक जाना अर्थात भोर से लेकर सूर्यास्त तक खाने-पीने एवं हर बुराई से रुक जाने का नाम रोज़ा है। उन्होंने बताया की रोजा एक ऐसी इबादत है जो इससे पूर्व भी ईश्वर ने अपने सभी ईश दूतों के अनुयायियों पर अनिवार्य की थी। इसीलिए आज लगभग सभी धर्मों में रोजे अथवा व्रत का सिद्धांत मिलता है। हिंदू धर्म में व्रत, ईसाई एवं  यहूदी धर्म में रोजा तथा जैन धर्म में उपवास रखे जाते हैं।

उन्होंने बताया कि रोजे का उद्देश्य मनुष्य के अंदर अल्लाह का तकवा व परहेजगारी अर्थात ईशपरायणता पैदा करना है। उन्होंने बताया की रमजान का महीना आत्म संयम, आत्म शुद्धि तथा आत्म नियंत्रण के प्रशिक्षण का महीना है जिसके द्वारा मनुष्य अपनी आत्मा की शुद्धि एवं विकास तथा बुराइयों से अपने आप को पाक करता है। 

इस अवसर पर सद्भाव मंच की सदस्या एवं राठी अस्पताल ब्यावर  की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ० अंजना राठी, सद्भाव मंच की महिला प्रकोष्ठ संयोजक श्रीमती कल्पना भटनागर , सद्भाव मंच ब्यावर के सह संयोजक मुमताज अली, राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय ब्यावर के पूर्व पी एम ओ डॉ० एस सी जैन, राजस्थानचीता मेहरात काठात महासभा के पूर्व अध्यक्ष एवं सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय ब्यावर के प्रोफेसर जलालुद्दीन काठात, यूथ फॉर अंबेडकर की संजू भारती तथा गोपाल गोयर, सेवानिवृत बैंक अधिकारी एस एन अग्रवाल, दंत चिकित्सक डॉ० मुहम्मद आसिफ, प्रगतिशील मुस्लिम मंच के अध्यक्ष शकील खिलजी एवं सचिव अय्यूब गौरी, सुनील लॉयल, दीपक मैथ्यू , अरविंद लाल, कासिम अली खान आदि ने भी पादरी प्रेम प्रकाश को शुभकामनाएं दी तथा सद्भाव मंच को इस विदाई समारोह के आयोजन के लिए बधाई दी।

अंत में सद्भाव मंच के संयोजक रमेश यादव ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर सद्भाव मंच ब्यावर के सदस्यों द्वारा पादरी प्रेम प्रकाश को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। पादरी प्रेम प्रकाश ने भी सद्भाव मंच ब्यावर के सभी सदस्यों तथा आगंतुकों का उनकी भाव भीनी विदाई कार्यक्रम के आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम के बाद सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों एवं अतिथि गणों ने मिलकर रोजा इफ्तार किया तथा इफ्तार के पश्चात मुस्लिम धर्मावलंबियों ने चर्च कंपाउंड के लॉन में  नमाज अदा की।

इस अवसर पर मोहम्मद अली मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल ब्यावर के प्रिंसिपल डॉ० अनीस अहमद, इकरा पब्लिक सेकेंडरी स्कूल, ब्यावर के डायरेक्टर  महबूब खान , इकरा पब्लिक स्कूल ब्यावर तथा फतेहगढ़ सल्ला के सद्दाम खान तथा मुहम्मद इरफान, डॉ० अरविंद माथुर, ताजुद्दीन, रमजान खान, अनवर काठात आदि उपस्थित थे।

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