बैंकों का निजीकरण हुआ तो तबाही और आएगी !


आप HDFC और ICICI जैसे बैंकों में खाता खुलवाने जाइए…वो बताएगा कि कम से कम 10 हजार का बैलेंस रखना पड़ेगा तब खाता खुलेगा… वहीं एसबीआई सिर्फ 1 हजार के मिनिमम बैलेंस पर खाता खोलता है !

जब तक सरकार निकम्मी ना हो तब तक पब्लिक सेक्टर बैंक का बड़ा से बड़ा अधिकारी भी नियमों की अवहेलना नहीं कर सकता है जबकि प्राइवेट बैंक का बिजनेस इसी शर्त पर चलता है कि कैसे नियमों को तोड कर काम कर सके !

पब्लिक सेक्टर बैंक जन सरोकार के लिए होता है जबकि प्राइवेट बैंक जन सरोकार का नाम भी नहीं सुना होगा !

प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और समतावादी राजनीति एवं जनपक्षीय सरोकारों से अवगत नहीं कराया तो ट्रेड यूनियनवाद निरर्थक हो जाता है।

बैंक कर्मचारी का आंदोलन तभी सफल हो सकता है जब वो सत्ता परिवर्तन की ताकत दिखाए…!

इस कहावत “भय बिनु होई ना प्रीति” का खयाल रखे तभी कोई आंदोलन सफल हो सकता है !

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