अयोध्या विवाद : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले 9 नवम्बर को जयपुर में निकाला जाएगा शांति मार्च


बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि विवाद पर जल्दी ही आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए राजस्थान की राजधानी जयपुर में विभिन्न मुस्लिम धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों और मंदिर के पुजारियों की बैठक शुक्रवार को मोती डूंगरी मंदिर परिसर में हुई।

बैठक में मोती डूंगरी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत कैलाश शर्मा, जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य यास्मीन फारूकी, सर्व ब्राह्मण सभा के प्रदेश अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा, जमाते इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेश सचिव डॉ मोहम्मद इक़बाल सिद्दीक़ी, हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन के उपाध्यक्ष नईम रब्बानी शामिल थे।

बैठक में मुस्लिम संगठनों के लोगों के साथ मिलकर जयपुर में 9 नवंबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही लोगों के बीच शांति और सद्भाव का संदेश फैलाने के लिए एक शांति मार्च आयोजित करने का निर्णय लिया गया ।

मंदिर के मुख्य पुजारी महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि “9 नवम्बर को निकलने वाले शांति सद्भाव मार्च में सभी जाति,धर्म, सम्प्रदाय के छात्र, महिला, पुरुष, व्यापारी, वकील, राजनेता,धर्म गुरु, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हो सकते हैं। जयपुर और पूरे देश में हिंदू और मुस्लिम सहित सभी धर्मों के लोग सदियों से मिलजुलकर शांति एवं सौहार्द से रह रहे हैं। इस शांति मार्च का उद्देश्य भी भाईचारे को बनाए रखना और देश विरोधी ताकतों को कड़ी चेतावनी देना है कि हम हर परिस्थिति में एकजुट हैं। ”

मोती डूंगरी का गणेश मंदिर राजस्थान के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है जिसका निर्माण 1761 में किया गया था। महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि मंदिर में हाल ही में गर्भगृह के नवीनीकरण का कार्य करने के लिए भी मुस्लिम कारीगरों को लगाया गया है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने शान्ति मार्च का महत्व बताते हुए कहा कि, “ यह समाज में फैली हुई नफरत का जवाब सद्भाव और प्रेम से देने का समय है। मुझे खुशी है कि हम सब प्रेम का संदेश फैलाने के लिए साथ आए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होने वाली प्रतिक्रिया को लेकर लोग आशंकित हैं और उनमें डर का माहौल है, यह मार्च आम लोगों की आशंकाएं और डर को दूर करेगा और उनमें विश्वास जगाएगा। इस मार्च के माध्यम से हम यही संदेश देना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो भी आए लेकिन हमारा आपसी प्रेम,भाईचारा और सद्भाव बना रहे।”

गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती को मनाने के लिए सिख समुदाय के लोग भी इस मार्च में शामिल होंगे। सिख समुदाय के अध्यक्ष अजय पाल ने कहा कि “सिख समुदाय संविधान में विश्वास करने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार है। मैं सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं और मेरा मानना है कि हर भारतीय को न्यायालय और उसके फैसलों का सम्मान करना चाहिए। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का जो भी फैसला आए  दोनों समुदायों के लोगों द्वारा इसका सम्मान किया जाना चाहिए। ”

बैठक में मौजूद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य यास्मीन फारूकी ने कहा कि “इस मार्च के माध्यम से हम सन्देश देना चाहते हैं कि हम सब एक हैं और पूरे देश में शांति सद्भाव बना रहे।” सर्व ब्राह्मण सभा के प्रदेश अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो भी आए लेकिन जयपुर शहर की गंगा जमुनी तहजीब बनी रहनी चाहिए”

हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन के उपाध्यक्ष नईम रब्बानी ने बताया कि मार्च को लेकर हिन्दू धर्म के अलावा बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई धर्म के धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों से भी हमारी बात चल रही है। हमें उम्मीद है कि इस शांति मार्च में हमें सभी धर्मों के लोगों का साथ और सहयोग मिलेगा।

शांति मार्च का आयोजन 9 नवम्बर शनिवार को जयपुर में सांगानेरी गेट से लेकर रामगंज चौपड़ तक किया जाएगा।

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