MBBS कर ही रहीं थीं महज़ 24 साल की उम्र में सरपंच बन गईं शहनाज़!

कहते हैं जब आपमें वो टैलेंट हो जो आपको कुछ करने के लिए प्रेरित करे तो आप हर मंज़िल को पा लेने के लिए कुछ भी कर सकते हैं!

ऐसा ही कुछ किया है भरतपुर में कामां पंचायत में सरपंच बनी शहनाज़ ने!

राजस्थान के भरतपुर जिले की कामां पंचायत निवासी शहनाज़ ने इतिहास रचा है। वे राज्य में सबसे कम उम्र की महिला सरपंच बन गई हैं। उनकी उम्र 24 साल है और वे एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वे कामां की पहली ऐसी सरपंच भी बन गई हैं जिसने डॉक्टरी की पढ़ाई की है।

अभी शहनाज़ एमबीबीएस के चतुर्थ वर्ष में हैं। वे इंटरर्नशिप की तैयारी कर रही थीं कि उन्हें अचानक राजनीति में आना पड़ा। सौभाग्यवश वे उसमें कामयाब हो गईं। दरअसल शहनाज़ से पहले उनके दादा यहां के सरपंच थे। उनके निर्वाचन को कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने निर्वाचन खारिज कर दिया जिसके बाद दोबारा चुनाव हुए। इसलिए शहनाज़ को परिवार ने आगे बढ़ाया।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहनाज़ के दादा 55 साल तक सरपंच रह चुके हैं। उनका निर्वाचन रद्द होने पर शहनाज़ ने चुनाव लड़ा और वे जीत गईं। शहनाज का पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है। उनके पिता प्रधान रह चुके हैं। मां विधायक रह चुकी हैं। मां और पिता भविष्य में फिर चुनाव की तैयारी में थे। ऐसे में शहनाज़ ने सरपंच पद के लिए उम्मीदवारी का फॉर्म भरा।

शहनाज़ ने बताया कि उनके सरपंच बनने से लड़कियों की पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा। लोग अपनी बेटियों को पढ़ाना चाहेंगे। चूंकि इस इलाके में महिला शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में गांव की एक डॉक्टर बेटी का चुनाव जीतना यकीनन लोगों को प्रोत्साहित करेगा कि वे भी अपनी बेटियों की शिक्षा पर खूब ध्यान दें।

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