मज़दूर हर रोज़ फ़ोन करके यही पूछते हैं, “साहब क्या आज हमारे लिए कोई ख़ुशख़बरी है!”


राजस्थान की राजधानी जयपुर में सीतापूरा औद्योगिक क्षेत्र में बिहार बंगाल और उत्तरप्रदेश के लगभग 50 हज़ार प्रवासी मज़दूर फँसे हुए हैं!

ये सभी मज़दूर यहाँ टेक्सटाइल फ़ैक्ट्री में कपड़े की सिलाई का काम करते हैं! जिसमें से अधिकतर बिहार राज्य के रहने वाले हैं!

प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुँचाने के लिए राज्य सरकार ने हालाँकि कुछ क़दम ज़रूर उठाए हैं जिसमें लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में बसों द्वारा राजस्थान की सीमा तक उन्हें छोड़ा गया था!

उसके बाद दो तीन अप्रैल को लगभग 30 बसें प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुँचाकर आयी है!

हालाँकि अभी भी 30 से 35 हज़ार मज़दूर अपने घरों को जाने के लिए तरस रहे हैं !

राज्य सरकार द्वारा जो ट्रेनें दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है उसके लिए हज़ारों लोगों ने पंजीकरण कराया है लेकिन उसमें समय बहुत लग रहा है!

ऐसे में मज़दूरों के पास भोजन और रहने की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है!

लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही इन मज़दूरों के बीच भोजन वितरण और सूखा राशन वितरण का कार्य कर रहे हेल्पिंग हैंड फ़ाउंडेशन के सदस्य नूरुल अबसार कहते हैं “ हमने सूखे राशन की व्यवस्था करने के लिए लगभग 25 हज़ार सेअधिक मज़दूरों का डाटा राज्य सरकार को भेजा था! उसके बाद हालाँकि सरकारी मदद आयी लेकिन वह नाकाफ़ी रही”

अबसार आगे कहते हैं “प्रवासी मज़दूरों को उनके राज्यों में पहुँचाने के लिए हमने सरकार को 25 सौ ऐसे लोगों की सूची दी है ! जिन्होंने अपने घर जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवाया है !ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इन मज़दूरों को जल्द ही इनके घरों तक पहुँचा पाएगी”

मज़दूर इसलिए भी घर जाना चाहते हैं क्योंकि अभी लॉकडाउन खुलने के दूर दूर तक कोई आसार नज़र नहीं आ रहे !जयपुर के सभी औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह बंद हैं ऐसे में मज़दूरों के ऊपर दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है!

अबसार कहते हैं “मज़दूर हर शाम फ़ोन करके एक ही बात पूछते हैं कि साहब क्या आज हमारे लिए कोई ख़ुशी की ख़बर आयी है कि नहीं”

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