महाराष्ट्र : जब होटलों में थी विधायकों की किलेबंदी तब जनता के साथ सड़कों पर था ये MLA


महाराष्ट्र की सियासी उठापटक ने इस देश के लोकतंत्र पर खतरे जैसे सवालों से लेकर राज्यपाल की मर्यादा को शक के घेरे में ला खड़ा किया। जनता के चुने हुए विधायकों की पांच सितारा होटलो की किलेबंदी के बाद अब तस्वीर साफ होती नजर आ रही है, जहां राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीन दलों की सरकार बनने जा रही है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए हैं, वहीं दो उप-मुख्यमंत्री एनसीपी और कांग्रेस से होंगे।

पिछले 4-5 दिनों के घटनाक्रम में जब विधायकों को होटलों और दूसरे शहरों में छुपाया जा रहा था तब एक महाराष्ट्र के ही एक विधायक विनोद निकोले पालघर जिले में डहाणू विधान सभा क्षेत्र में जनता के मुद्दों पर एक जुलुस में शामिल थे।

कौन है विनोद निकोले ?

कभी सड़कों पर रेहड़ी लगाकार वड़ापाव बेचने वाले विनोद महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचने वाले सबसे गरीब विधायक है। माकपा के उम्मीदवार 43 साल के विनोद की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनका घर और पढ़ाई दोनों छूट गई जिसके बाद वह पालघर जिले के दहानु के आदिवासी इलाके में ‘वड़ापाव’ बेचकर गुजारा करते थे। विनोद की पत्नी बबीता एक आश्रम में सेविका के तौर पर काम करती है जिन्हें 2,000 वेतन मिलता है। दोनों के दो बच्चे हैं।

50 हजार है कुल संपत्ति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जहां इस बार करोड़पति उम्मीदवारों की चर्चा रही वहीं विनोद की कुल संपत्ति मात्र 52 हजार 82 रूपए है। विनोद ने भाजपा के उम्मीदवार पास्कल धनारे को 72,068 वोटों के अंतर से हराया। मालूम हो कि महाराष्ट्र में हाल के चुनावो में 288 विधायक चुने गए है। इनमे 264 करोड़पति है। यानि 93 प्रतिशत करोड़पति है।

विनोद निकोले पर वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारहठ फेसबुक पर लिखते हैं,

“वो पहरे में थे

वो 24 पहर जनता के बीच था,

वो सितारा होटलो में लोकतंत्र की रक्षा में मुस्तैद थे

वो अपनी अवाम की आँखों का तारा बना हुआ था”।

– नारायण बारहठ, वरिष्ठ पत्रकार

किसानों के साथ मिलाए आंदोलन में कदम से कदम

विनोद सीपीआई (एम) महाराष्ट्र राज्य समिति में पिछले 15 सालों से काम कर रहे हैं। इसके अलावा वह सीटू (CITU) के राज्य सचिव और ठाणे-पालघर जिला सचिव हैं।

गौरतलब है कि मार्च में नासिक से मुंबई तक (AIKS) के नेतृत्व में निकले किसान लॉन्ग मार्च में विनोद शामिल थे जिसमें उन्होंने 40,000 किसानों के साथ पूरे 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा की थी। मालूम हो कि 2013 से 2018 के बीच महाराष्ट्र में 15 हजार किसानो ने खुदकशी की थी।

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