GROUND REPORT : इनकी चिंता यह है कि वह बिना मरे कैसे अपने घरों की दहलीज़ तक पहुँच पाएंगे!


कोरोना महामारी के पूरी दुनिया में फैलने के बाद इसका असर भारत पर भी पड़ रहा है!

भारत में अब तक 694 मरीज़ों की पुष्टि हुई है! भारत ने इससे अपने आपको बचाने के लिए 14 अप्रैल तक 21 दिन का संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया है!

लेकिन इस लॉकडाउन के पूरे देश में विपरीत असर भी पड़ रहे हैं !

एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले मज़दूरों को अपने घरों तक जाने के लिए परिवहन सेवाएँ नहीं मिल रही है!

जिसके कारण मज़दूर पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं कल गुजरात से हज़ारों मज़दूर राजस्थान की सीमा पर इकट्ठा हो गए उसके बाद उन्हें राजस्थान सरकार द्वारा अलग अलग स्थानों पर उनके घरों तक पहुंचाया गया!

लेकिन स्थिति अत्यंत विकट हो गई है जयपुर जोधपुर जैसे राजस्थान के बड़े शहरों में मध्य प्रदेश के हज़ारों की संख्या में मज़दूर काम करते हैं! लॉकडाउन के बाद उन्हें या तो निकाल दिया गया है या फिर 200-300 रुपया देकर अपने राज्य जाने के लिए मजबूर किया गया है!

जयपुर से मध्य प्रदेश की ओर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर हज़ारों की संख्या में जत्थे बना बनाकर लोग पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं! उसमें बच्चे बूढ़े और महिलाएँ भी शामिल हैं

एक मज़दूर ने हमसे बात करते हुए कहा कि,” हमें भगा दिया गया है,हमारे पास घर जाने के लिए न तो पैसा है और न ही साधन अब हम 700 कि॰मी पैदल चलकर अपने घर जाने को मजबूर हैं”

कोरोना वायरस न फैले इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग यानी दूर दूर रहने की सलाह दी जा रही है प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में सोशल डिस्टेंसिंग पर बहुत ज़ोर दिया है !


लेकिन यहाँ इन मज़दूरों की मजबूरी कुछ अलग ही नज़ारा प्रस्तुत करती है यहाँ अगर जत्था बनाकर न चलें तो लंबा सफ़र पैदल तय करना आसान नहीं है !

छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को साथ लेकर चलना पड़ रहा है!

ये मध्य प्रदेश के सागर ज़िले की रूपा देवी हैं, अपने चार माह के छोटे से बच्चे को सीने से चिपका है बैठी है ये जयपुर के चोमूँ पुलिया के पास मज़दूरी करती है !

जैसे ही लॉक डाउन हुआ इन्हें वहाँ से भगा दिया गया लेकिन इन्हें अपने घर पहुँचने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो पैदल ही चल पड़ी !

 Photo : Janamanas.com

वो कहती है,”न हमारे पास खाने के लिए कुछ है न बच्चे के लिए दूध और न ही हमारे पास पैसा है अब आप ही बताइए हम कैसे 700 km दूर अपने घर पहुँचेंगे”

अभी रात के 11:35 बजे हैं , जयपुर के टोंक रोड पर पिंजरापोल गौशाला के सामने लगभग डेढ़ सौ मज़दूर महिलाएँ पुरुष बच्चे दुकानों की सामने की टीन पर अपने आप को बारिश से बचाते नज़र आ रहे हैं!

क्या भारत करोना की जंग ऐसे जीत पाएगा या फिर सरकारें इतनी संवेदनहीन हो गई हैं कि उन्हें समाज के इस तबके के लिए ना तो सोचने का समय है ना ही कुछ करने का !

इन लोगों को न तो ग्रोसरी का सामान इकट्ठा करने की चाहत है और न ही इस बात की चिंता कि यह घर में रह कर किन किन कामों में व्यस्त होंगे जिससे उनका समय है तथा कथित कोरेंटाइन में निकल सके !

इन मज़दूरों की चिंता यह है कि वह बिना मरे कैसे अपने घरों की दहलीज़ तक पहुँच पाएंगे!

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