चूरू और झुंझुनूं लोकसभा सीट पर भाजपा नहीं उतारेगी जाट उम्मीदवार!

राजस्थान में जाट बहुलता वाले शेखावाटी जनपद के झूंझुनू लोकसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक प्रैमसिंह बाजोर द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने के लिये भाजपा से टिकट मांगने और चूरु लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करने के बाद क्षेत्र के सियासी पारे को बढ़ा दिया है।

एक लम्बे अर्से से शेखावाटी की चूरु, झुंझुनूं व सीकर लोकसभा सीट से कांग्रैस व भाजपा जाट नेता को ही उम्मीदवार बनाती आ रही है। अपवाद स्वरूप 2009 मे कांग्रैस ने चूरु से रफीक मण्डेलीया को उम्मीदवार बनाया था। चूरु से एक बार कांग्रैस उम्मीदवार मोहरसिंह राठौड़ व झूंझुनू से जनता पार्टी के टिकट पर भीमसिंह मण्डावा जैसे राजपूत नेता भी सांसद बन चुके है। मोहरसिंह राठौड़ के बेटे जयसिंह राठौड़ को भी कांग्रैस ने चूरु से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वो चुनाव जीत नही पाये थे।
शेखावाटी की तीनो सीटो से भाजपा लंबे समय से जाट नेताओं को ही उम्मीदवार बनाती आ रही है। झूंझुनू से भाजपा ने बनवारी सैनी व मदनलाल सैनी को अलग अलग समय लोकसभा उम्मीदवार बनाया पर दोनो ही चुनाव जीत नही पाये। उसके बाद भाजपा ने फिर बदलाव लाते हुये जाट जाति की नेता संतोष अहलावत को उम्मीदवार बनाया तो अहलावत ने 2014 मेंं चुनाव जीत कर भाजपा का परचम लहरा दिया।

भाजपा ने किसी राजपूत को उम्मीदवार अभी तक नही बनाया है। अगर राजेन्द्र राठौड़ इस बार 2019 के चुनाव मे लोकसभा उम्मीदवार बनते है तो वो चूरु लोकसभा सीट पर भाजपा के पहले राजपूत उम्मीदवार होगे।

चूरु के वर्तमान भाजपा सांसद राहुल कस्वां व भाजपा के सीनियर विधायक राजेन्द्र राठौड़ के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। राहुल कस्वां से पहले उनके पिता रामसिंह कस्वा के लम्बे समय तक सांसद रहते हुये, उनका भी राजेंद्र राठौड़ से छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर रहा है। मौजूदा समय में राठौड़ चूरु से विधायक है और उनकी देखरेख में ही 26-फरवरी को चूरु मे प्रधानमंत्री मोदी बडी जनसभा कर चुके है। इस जनसभा मे राजेन्द्र राठौड़ पूरी तरह छाये रहे। क्षेत्र मे जाट मतदाताओं को राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक माना जाता है। बिना दल भेद के जाट मतो का ध्रूवीकरण जाट उम्मीदवार की तरफ ही होता है। अगर आमने सामने जाट उम्मीदवार हुआ तो अलग बात है, नहीं तो जाट मत एक तरफा जाट उम्मीदवार के पक्ष मे जाना तय माना जाता है। जाट उम्मीदवार के खिलाफ जब भी गैर जाट मतो का ध्रुवीकरण होता है तब ही गैर जाट उम्मीदवार यंहा जीत पाया है। 1979 मे झूंझुनू से जनता पार्टी की टिकट पर भीमसिंह मण्डावा (राजपूत) व कांग्रैस की टिकट पर चूरु से मोहरसिंह राठौड़ इसी तरह मतो के ध्रुवीकरण होने के कारण चुनाव जीतकर सांसद बन चुके है।

कुल मिलाकर यह है कि भाजपा अगर चूरु से राजपूत नेता राजेन्द्र राठौड़ व झुंझुनूं से प्रैमसिंह बाजोर को लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर चुनावी रण मे उतारती है तो शेखावाटी जनपद में लोकसभा चुनाव बडा दिलचस्प हो सकता है।

-।अशफाक कायमखानी।

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