फिजिक्स के छात्र अंकित कुमार की कविता-कौंन कहता है प्यार नहीं

कौंन कहता है प्यार नहीं? कौंन कहता है कमबख्त दिल को कभी प्यार नहीं? प्यार तो…

पहाड़ी पर आकर ज़िन्दगी की असफलताओ से बहुत कुछ सीखने को मिलता है

-ख़ान शाहीन जनवरी का महीना था…. सर्दियो की ख़ूबसूरत दोपहर, पौधों पर बर्फ़ इस तरह जम गई…

कौन चाहता है विनोद जाखड़ की आगामी राजनीति की हत्या करना!

राजनीति और चालाकी का बन्धन अटूट है!लेकिन देश में ये संयोग सिर्फ़ ब्राह्मणों के हाथ लगा!दलित…

मायूसी के माहौल में एक उम्मीद जगाती अहमद क़ासिम की कविता-उम्मीद ज़िंदा है !

उम्मीद ज़िंदा है ! लड़खड़ाती,डगमगाती बार बार अपनी जगह से फिसल रही मेरी ये कलम लिखना…