राजस्थान उपचुनाव : जाट बाहुल्य मंडावा और खींवसर सीट पर किसका पलड़ा है भारी ?


बीते शनिवार को चुनाव आयोग ने हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही प्रदेश की 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया। दोनों विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे, जिसके बाद मतगणना 24 अक्टूबर को होगी और पता चलेगा कि भाजपा जीत की हैट्रिक लगाती है या सत्तासीन कांग्रेस भाजपा के विजय रथ को रोक पाने में कामयाब होती है।

चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के साथ ही मंडावा और खींवसर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इसके अलावा दोनों ही मुख्य क्षेत्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी तैयारियों में जुट गई हैं।

यहां के दोनों विधायक पहुंच गए लोकसभा

दोनों सीटों पर उपचुनाव का कार्यक्रम कुछ इस तरह रहेगा।

– नोटिफिकेशन – 23 सितंबर

– नामांकन भरने की आखिरी तारीख – 30 सितंबर

– नाम वापस लेने की तारीख – 3 अक्टूबर

– मतदान – 21 अक्टूबर

– मतगणना और परिणाम – 24 अक्टूबर

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में खींवसर से हनुमान बेनीवाल विधायक चुने गए थे तो मंडावा की जनता ने बीजेपी के नरेन्द्र खीचड़ को चुना था। विधानसभा चुनावों के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनावों में दोनों विधायकों ने नागौर और झुंझुनूं से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा चले गए।

दोनों सीटों हार जीत के हैं कई मायने

प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है। अगले विधानसभा चुनाव में काफी समय है लेकिन इन 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव भी कई मायनों में अहम साबित हो सकते हैं, क्योंकि इन उप चुनावों के तुरंत बाद निकाय और पंचायत चुनाव की घोषणा हो जाएगी ऐसे में जिस पार्टी का झंडा लहराएगा निकाय व पंचायत चुनावों में उसका पलड़ा भारी होगा।

अगर हम पिछले तीन चुनावों की बात करें तो भाजपा सूबे में भारी रही है। उपचुनाव होने वाली दोनों सीटें जाट बाहुल्य हैं। वहीं कांग्रेस इस बात से खुश हो सकती है कि जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं वहां प्रत्याशी अब लोकसभा में हैं और चुनावी मैदान में नहीं है।

लेकिन जनता की बात करें तो विधानसभा चुनाव में जनता वोट देते समय टिक कर काम करने वाला विधायक देखती है।

मंडावा (झुंझुनूं)

मंडावा सीट से विधायक नरेंद्र खींचड़ 2019 के आम चुनावों में झुंझुनू से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंच गए, उन्होंने 2 बार लगातार चुनाव जीता है। वहीं पिछले 3 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस यहां एक बार ही जीत हासिल कर पाई है। 2008 में हुए चुनाव में मंडावा से कांग्रेस की रीटा चौधरी जीती थी। वहीं 2013 व 2018 में खींचड़ लगातार 2 बार जीते।

खींवसर (नागौर)

विधानसभा चुनाव में आरएलपी पार्टी बनाने वाले हनुमान बेनीवाल खींवसर सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। 2019 के आम चुनाव में वो भाजपा से गठबंधन कर नागौर से जीते और लोकसभा चले गए। 2008 में बेनीवाल ने खींवसर सीट से बसपा प्रत्याशी को हराकर जीते थे। वहीं 2013 में बेनीवाल निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे और जीते। 2018 में बेनीवाल फिर इसी सीट पर खुद की पार्टी आरएलपी से चुनाव लड़ा और जीता।

दोनों सीटों पर ये है दावेदार

उपचुनाव में खींवसर विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और सवाई सिंह टिकट फिलहाल टिकट पाने की रेस में चल रहे हैं। वहीं, मंडावा सीट से पूर्व विधायक रीटा चौधरी की दावेदारी सबसे मजबूत है।

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