आमागढ़ विवाद : आदिवासी आंदोलन के नाम पर राजस्थान में फैला रायता


आंदोलन था या रायता !

4 जून को आमागढ़ किले पर शिव मंदिर की मूर्तियों को तोड़ने से शुरू हुआ आमागढ़ विवाद आज 1 अगस्त को अपनी परिणीति को प्राप्त हुआ. बीते 2 महीने में विश्व हिंदू परिषद से लेकर मीणा समुदाय, विधायक, सांसद, युवा तमाम चेहरों ने अपनी हुंकार भरी जिसकी हवा आज निकल गई।

दो अलग-अलग विवादों के पहिए पर चलने वाला आंदोलन झोलमझोल होकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा. पहले मूर्ति तोड़ने पर हिंदूवादी संगठन गरम हुए तो फिर भगवा झंडा लगाने पर मीणा समुदाय भड़का,

फिर झंडे के फटने पर वापस हिन्दू संगठनों में आक्रोश दिखा लेकिन पूरी तरह असंगठित…फिर झंडा लगाने के लिए अपने-अपने खोखले दावे ठोके गए और दोनों पक्षों ने गोलमाल फ़िल्म बना दी.

मीणा समुदाय के कुछ युवाओं ने आंदोलन को आदिवासी अस्मिता से जोड़ने की नाकाम कोशिश की सोचा कोई विधायक साथ देगा, राजनीतिक पार्टियां साथ देंगी,

ट्विटर-ट्विटर खेलते रहे, उधर वो सुदर्शन वाला जोकर कहता रहा मैं आ रहा हूं, इधर ये सोशल मीडिया पर कहते रहे देख लेंगे, आजा आजा, दोनों पक्षों की भाषा देखकर कभी नहीं लगा कि आंदोलन में किसी तरह की गंभीरता थी !

किरोड़ी लाल मीणा को लगा मौका है पुराने हिसाब चुका दो आकाओं के, रामकेश मीणा झंडा उतार कर पतली गली पकड़ चुके थे, झंडे को उतारने के वक्त रफीक खान का नाम लिया, साम्प्रदायिक रंग नहीं चढ़ा तो आदिवासी अस्मिता की बात करने लगे !

किरोड़ी लाल ने एक दिन पहले गर्व से हिन्दू वाले झंडे।लहराए, आदिवासी मानने से इनकार किया, ट्विटर वाले आंदोलनकारियों को लगा इनको लपेटो अब,

अगले दिन किरोड़ीलाल इंटेलिजेंस को चकमा देकर जय मीनेष का झंडा वहां लहरा देते हैं, मतलब गज़ब है जो पुलिस कह रही थी वहां परिन्दे को पर नहीं मारने देंगे, किरोड़ी पहुंच गए, दिन भर पुलिस के फेलियर से ज्यादा चर्चा किरोड़ीलाल के कसीदे पढ़े गए ! रामकेश मीणा अब तक पाला और सुर दोनों पूरी तरह बदल चुके थे !

अब ट्विटर वाले आंदोलनकारियों को लगा कि फिर से आदिवासी अस्मिता वाली हवा दी जाए तो दबे मुँह जय मीनेष के झंडे पर घोल मथोल प्रतिक्रिया आई !

अब तक रायता फैल चुका था, ना आदिवासी अस्मिता का का सवाल पुरजोर तरीके से उठा ना कुछ और, वो जोशीले युवा भूल ही गए कि भाजपा शुरू से इस पर चुप है तो कुछ सोच समझकर ही होगी ना, अब किरोड़ी उनके हनुमान थे या आपके ये आप तय कर लीजिए !

सादर

– अवधेश


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *