62 साल पहले राजस्थान में दो मुख्यमंत्री, इस जिले की थी खुद की सरकार

62 साल पहले राजस्थान में दो मुख्यमंत्री, इस जिले की थी खुद की सरकार

 

हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की हुकुमत से आजाद हुआ लेकिन देश का राजस्थान सूबा अभी भी राजपूत रियासतों में घिरा हुआ था. आखिरकार 30 मार्च 1948 को राजपूताना से अलग होकर राजस्थान का गठन हुआ. राजस्थान के गठन के साथ ही जयपुर को राज्य की राजधानी बनाया गया और राजसी और लोकशाही सभी के लिए जयपुर ही केंद्र बन गया. राज्य के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री हुए।

लेकिन जो दिलचस्प बात हम आपको बताने जा रहे हैं वो यह कि स्वतंत्र प्रदेश के गठन के बाद भी राजस्थान में उस समय एक साथ 2 विधानसभाएं हुआ करती थी. जी हां, यह विधानसभा थी अजमेर विधानसभा जिसके लिए अलग से कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

अजमेर से चलती थी एक और सरकार-

किशनगढ़ रियासत को छोड़कर अजमेर की जनता ने 22 जनवरी 1952 को हरिभाऊ उपाध्याय को पहला मुख्यमंत्री बनाया. उनकी विधानसभा में 30 विधायक थे. भागीरथ चौधरी यहां के पहले विधानसभा अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद भी 1 नवंबर 1956 तक यहां अपनी सत्ता, अपनी सरकार रही, जो राजस्थान सरकार से पूरी तरह अलग काम करती थी।

कॉलेज में बैठती थी अजमेर के मुख्यमंत्री की कैबिनेट-

अजमेर की सरकार के लिए जयपुर रोड पर बने टीटी कॉलेज को विधानसभा भवन बनाने के लिए चुना गया था. बाद में जब अजमेर का राजस्थान में विलय हुआ तो इसे फिर से कॉलेज के रूप में शुरू कर दिया गया. कॉलेज की बिल्डिंग आज भी अजमेर के गौरवशाली इतिहास को बताती है।

1956 में हुआ राजस्थान में विलय-

हरिभाऊ उपाध्याय की अजमेर सरकार ने 5 साल तक शासन करने के बाद आखिरकार 1 नवंबर 1956 को फाजिल अली की ओर से पेश किए गए एक प्रस्ताव को स्वीकारा और अजमेर का राजस्थान में विलय हुआ। तब से पूरे राजस्थान में एक साथ चुनाव होने लगे।

अवधेश पारीक

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