हिंदुत्व को नहीं, ख़तरा तो हिंदू के नाम पर सत्तासीनों को है!

हिन्दुत्व है ख़तरे में
हिन्दुस्तान का हिन्दुत्व खतरे मे है, बहुत सारे हिन्दु धार्मिक और सामाजिक संगठन अपने अस्तित्व के समय से ही इस आवाज़ को बुलन्द करके अपना काम कर रहे है, लेकिन हिन्दुत्व को खतरा किस से है- मुसलमानों से, ईसाइयों से, सिक्खों से या स्वयं हिन्दुओं से इस बारे मे कोई स्पष्ट जवाब नही देता है और हम लोग भी इसका जवाब मांगे बिना सहज रूप से इस बात पर विश्वास कर लेते है क्योंकि बात धर्म को लेकर है, धर्म खतरे मे है मतलब अपना वजूद ही खतरे है
धर्म की धारा भी इंसान की नस मे बहते हुए रक्त के साथ-साथ बहती है, धर्म के बारे मे कुछ गलत कहा तो उसकी रगों मे बहता खून भी उबाल मारने लगता है और यह उबाल इतना भयावह होता है कि वह अपने ही धर्म के अहिंसा नामक पाठ को भूल जाता है और एक क्रूर अधर्मी के रूप मे अवतरित होकर कहता है – मै अपने धर्म की रक्षा कर रहा हुं
लेकिन अहम सवाल ये है आखिर हिन्दुत्व को खतरा है किससे ?
जब एक ही छत के नीचे 4-5 भाई एक साथ मिलकर रहते है तो झगड़े तो उनमे भी होते कई बार तो नौबत मारपीट और हत्या तक पहुंच जाती है फिर कौनसा धर्म खतरे मे होता है शायद इसका जवाब आपके पास नही होगा, इसी तरह हिन्दुस्तान की इस धरती पर बहुत से भाई मिलकर एक साथ रहते है इनमे भी झगड़े होना स्वभाविक है, लेकिन कुछ लोग अपनी सियासी रोटियां सेंकने के लालच मे इन्हीं झगड़ाे को धर्म का चोला पहनाकर दर्दनाक दंगो मे तब्दील कर देते है ,इन दंगो से ऊठती हुई लपटे लोगों के दिलों मे नफरत का वो शोला भडका देती है कि वो मरते दम तक यह मानने को राजी नही होता की हम सब उसी एक ईश्वर के बनाए केवल माटी के पुतले है जो केवल उसकी मर्जी के गुलाम है, जिसने हमे प्यार और मोहब्बत से रहने का आदेश दिया है और एक दिन हम सब को उसके दरबार मे अपने कर्मो का हिसाब देना है ,हम उसके आदेशों की नाफरमानी करके कैसे धर्म की रक्षा का दम्भ भर सकते है ,हां कुछ लोग इससे अपनी तिजोरी जरूर भर सकते है, कुछ अपने राजनीतिक मंसूबों मे जरूर कामयाब हो सकते है वो भी सिर्फ तब तक जब तक आप और हम जैसे लोग धर्म रूपी बाढ मे बिना समझ की नाव के बेसहारा होकर बहते रहेंगे

सही मायनों मे हिन्दुत्व के खतरे को समझा जाए तो उदाहरण दिए जाते है इतने लोग मुसलमान हो गए, इतने ईसाई, इतने बौद्ध पर इस बात पर गौर किया है ये धर्म परिवर्तन करने वाले लोग कौन है – लगभग सभी लोग दलित, आदिवासी या एकदम पिछड़े तबके के लोग जो सिर्फ हिन्दु धर्म के ठेकेदारों द्वारा अपने स्वार्थ हेतु हिन्दु धर्म मे नाम मात्र को शामिल किए गए, इन्हें आज तक अछूत माना, इनको कभी भी मन्दिरों के पास भी भटकने ना दिया गया, वेद शास्त्र को छूना भी इनके लिए वर्जित था, इनको शिक्षा के अधिकार तक से वंचित रखा ,फिर किस आधार पर यह हिन्दु धर्म का हिस्सा थे क्या सिर्फ इसलिए की ये सदियों से तुम्हारी गुलामी करते आए है , सदियों से तुमने उन्हें जिल्लत भरी ज़िन्दगी बख्शी ,
आज जब लोकतंत्र ने उन्हें बराबरी का दर्जा दिया, उन्हें पढने-लिखने का अधिकार दिया, तुम्हारे बराबर बैठने का अधिकार दिया तो तुम्हें अनायास ही हिन्दू धर्म पर खतरा दिखाई देने लगा , इस को साबित करने को तुमने कई दंगो का सहारा भी लिया
खतरा हिन्दुत्व को नही खतरा तुम्हारी सदियों पुरानी सत्ता को होने लगा है क्योंकि तुम्हारे सेवक अब तुम्हें छोड़कर जा रहे है, वो तुम्हारी आंखों मे आंखें डालकर तुमसे सवाल पुछ रहे है ,जो तुम्हारी बर्दाश्त के बाहर है, इसलिए जिस धर्म का सहारा लेकर सदियों तक तुमने लोगों को गुलामी की बेडियों से जकड़े रखा आज उन्हीं बेडियों के खुल जाने के डर से फिर अपने धर्म रूपी हथियार को नए तरकश मे सजा कर पेश कर रहे हो और अपने तीर सही निशाने पर भी लगा रहे हो, लेकिन देखना है कब तक ये लोग इस धर्म रूपी खंजर को लोगों के सीनों मे उतारते है
आखिर एक ना एक दिन कोई इंसानियत की चिंगारी ऐसी जलेगी जो तुम्हारे फऱैबी धर्म के आशियाने को जलाकर राख कर देगी क्योंकि ईश्वर के सब्र का बांध जब टूटता है तो सिवाय प्रलय के और कुछ नही होता
हे इंसान उस ईश्वर से तो खौफ खा जिसके बनाए इंसानो को तुने धर्म की चक्की मे पीसकर जानवरों से बदतर जीवन जीने पर मजबूर कर दिया है

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