सीकर में मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी दूर करने के लिए राजेंद्र पारीक ने लिया सुभाष महरिया का सहारा

-अशफाक कायमखानी

सीकर में सुभाष महरिया का साथ मिलने से राजेंद्र पारीक अब मुस्लिम बस्तियों में जाने लगे है लेकिन परिणाम सकारात्मक नजर नही आ रहा है।
सीकर विधानसभा क्षेत्र मे पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष महरिया का साथ मिलने के कारण  कांग्रेस के सीकर से 2013 में प्रत्याशी रहे राजेन्द्र पारीक मुस्लिम समुदाय की बस्तियों में कुछ जगह चार छोटी छोटी नुक्कड़ सभा करने मे कामयाब होते जरुर नजर आये। लेकिन उन नुक्कड़ सभाओं में मुस्लिम समुदाय ने केवल महरिया को तरजीह देकर यह साबित करने से कतई परहेज नही किया है कि वो महरिया को तो दिल से चाहते है लेकिन आगामी सात दिसम्बर को बटन पिछले चुनावो की तरह ही दबा कर सीकर की सियासत को हर हाल मे एक नया रूपर देने की कोशिश करेंगे।

हालांकि सीकर की बकरा मण्डी में भाजपा की टिकट की दौड़ मे लगे ताराचंद धायल की अच्छी सभा होने के बाद, भाजपा का टिकट पाने की चाहत रखने वाली मदरसा बोर्ड की अध्यक्ष मेहरुन्निसा टांक ने विशाल सभा करके सबको चोंका दिया है। उधर माकपा के कय्यूम कूरेशी भी शहर मे नुक्कड़ बैठके लगातार कर रहे है। पिछले चुनाव मे सीकर से विधानसभा चुनाव लड़कर चालीस हजार मत पाने वाले एनसीपी उम्मीदवार वाहिद चोहान ने चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर रखा है लेकिन इस बात के पत्ते अब तक नही खोले है कि वो किस दल से चुनाव लड़ेगे या पहले की तरह एनसीपी के ही उम्मीदवार बनकर आएंगे। हालांकि वाहिद चोहान ने भाजपा से उम्मीदवार बनने से साफ मना कर दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि पिछले चुनाव मे कांग्रेस प्रत्याशी रहे राजेन्द्र पारीक से समुदाय की देखी गई सख्त नाराजगी आज भी जस की तस बनी रहने के अतिरिक्त उसमे इजाफा ही होता साफ नजर आ रहा है। लेकिन उनको इसबार पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया का साथ मिलने के कारण पारीक कुछ जगह जाने मे सफल जरुर हो रहे है। सुभाष महरिया की प्रतिष्ठा भी फतेहपुर में उनके भाई विधायक नंद किशोर महरिया के टिकट से जूड़ी हुई है। उनका मतदाताओं मे खासा असर होने के बावजूद उनसे जूड़े मतदाताओं की सक्रियता का आंकलन फतेहपुर टिकट तय होने के बाद ही हो पायेगा।

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