बचालो इस तिरंगे को दंगाइयों बलात्कारियों का रक्षाकवच बनने से

मेरी देह से बीनकर लौटा दो उनका हिंदुत्व,
ओ! मेरी प्यारी अम्मी!
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क़ब्र में विलख रही है आसिफ़ा
कह रही है रो रोकर अपनी अम्मी से
अम्मी बीनकर निकाल दो ना
मेरी देह के जख्मों से रिसता ये सारा हिंदुत्व
कि ये मुझे क़ब्र में भी सोने नहीं देते

कह रही है आसिफ़ा रो रोकर अम्मी से
अम्मी लौटा दो उन्हें जो जबरन छोड़ गए हैं मेरी देह पर
उन्हें जो उनके पक्ष में खड़े होकर
लगा रहे हैं नारे जय श्री राम जय श्री राम
मेरी देह से बीनकर लौटा दो उन्हें
उनका हिंदुत्व
ओ मेरी प्यारी अम्मी

इल्तज़ा कर रही है आसिफ़ा रो रोकर अपनी अम्मी से
कि मुझे न बचा पाई न सही
पर इमाम-ए-हिंद ‘राम’ को तो बचा लो
ओ मेरी प्यारी अम्मी
कि राम बदनाम हुए तो मर जाएगा हिंद
बचा लो तिरंगे को
नापाक़ होने से कि
ये मेरे मुल्क़ की आज़ादी का प्रतीक है
दंगाइयों, बलात्कारियों का रक्षाकवच बनने से इसे रोक दो

कह रही है आसिफ़ा रो रोकर अपनी अम्मी से
कि न्याय से कहीं बढ़कर है मनुष्यता
मुझे ऐसा न्याय हर्गिज़ नहीं चाहिए मेरी अम्मी
कि जिसके विरोध में हिंदू समुदाय के लोग
अपने दिलों में बनाने लगें मंदिर
हत्यारों और बलात्कारियों के
मेरी ज़ख्मों से लोर कर सारा हिंदुत्व
पिरो दो एक माला में ओ मेरी प्यारी अम्मी
और पहना दो उन्हें जो धमका रहें हैं
न्याय के पक्ष में खड़ी तुम्हारी वकील को
कि मुझे न्याय नहीं चाहिए ओ मेरी प्यारी अम्मी
बस तुम किसी तरह बचा लो
इस मुल्क़ की आवाम के भीतर
एक अदद मनुष्यता
ओ मेरी प्यारी अम्मी

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