जयगढ़ दुर्ग:पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इंदिरा गाँधी को पत्र लिखकर क्या माँगा था यहाँ से!

जयगढ़ दुर्ग

मध्ययुगीन भारत कि एक ऐतिहासिक इमारत,एक ऐसा दुर्ग जिसकी अनछुई कहानियां आपको जयपुर की यात्रा लिए विचलित कर देंगी।अरावली की पहाड़ियों पर बने जयगढ़ दुर्ग का निर्माण 1726 में हुआ था।

मैं जयगढ़ दुर्ग के विशालकाय प्रवेश द्वार पर खड़ा इसकी अनकही विडम्बना को महसूस करके ये बात लिख रहा हूँ कि इस दुर्ग कि महत्वता जयपुर शहर के वासियों से ओर इन वासियों में भी युवाओं से ज़्यादा कोई नही समझ सकता कि जिन्होंने इसे महसूस किया होगा। आप आते हैं आमेर के किले को निहारते हैं और इस दुर्ग की बूढ़ी दीवारें आपकी राहें तकती सो जाती हैं।

युवाओं का तस्वीरस्थान कहे जाने वाले इस दुर्ग ने कइसों प्रेमी जोड़ों के द्वारा ढल रहे सूरज के सामने अटूट बन्धन के वादों कि ताबीर को लिखा है और अपने अंदर समोहा है।

जयगढ़ किले पर रखी तोप जय बाण एशिया में सबसे बड़ी तोप मानी जाती है। इसके साइज का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि इसके गोले से शहर से 35 किलोमीटर दूर एक गांव में तालाब बन गया था। आज भी यह तालाब मौजूद है और गांव के लोगों की प्यास बुझा रहा है।

महलों,बगीचों,टंकियों अन्न भंडारों,शस्रागर,एक सुनियोजित तोप ढलाई घर अनेक मंदिरों एक लंबा बुर्ज भी यहां मौजूद है। इसमें अपना प्राचीन वैभव सुरक्षित करके रखा हुआ है।जयगढ़ के फैले हुए परकोटे,बुर्ज ओर प्रवेश द्वार पश्चिमी क्षितिज को छूते हैं।

कहा जाता है कि यह किला भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना का एक कारण भ बन गया था। जब ये अफवाह फैलाई गई कि जयपुर में स्थित इस किले में खाजाना छिपाया गया है। अरबी भाषा का एक दस्तावेज और ऐतिहासिक स्रोत कहते हैं कि जयपुर के जयगढ़ किले में एक खजाना छिपाकर रखा गया था लेकिन 1976 में भारत सरकार ने दावा किया कि उसे खजाना खोजने के अभियान में कुछ नहीं मिला. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद शायद यह सबसे अलग तरह का पत्राचार था. अगस्त, 1976 में भारत सरकार को पड़ोसी देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का एक पत्र मिला. इसमें उन्होंने श्रीमती इंदिरा गांधी को लिखा था, ”

आपके यहां खजाने की खोज का काम आगे बढ़ रहा है और मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आप इस दौरान मिली संपत्ति के वाजिब हिस्से पर पाकिस्तान के दावे का खयाल रखेंगी.’
भारत और पाकिस्तान के बीच संपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चलते रहे हैं लेकिन बाद में आधिकारिक पत्र के जरिए पाकिस्तान को जवाब दिया गया दे दिया गया था जिसमें इंदिरा गांधी ने लिखा कि ‘हमने अपने कानूनी सलाहकारों से कहा था कि वे आपके द्वारा पाकिस्तान की तरफ से किए गए दावे का ध्यान से अध्ययन करें. उनका साफ-साफ कहना है कि इस दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है. वैसे यहां खजाने जैसा कुछ नहीं मिला.’

यह किला एक सुरंग के जरिए आमेर किले से जुड़ा है।आमेर-जयगढ़ किले के बारे में लंबे अरसे से ये कयास लगाए जाते रहे हैं कि यहां तहखानों में मानसिंह का गुप्त खजाना छिपा है. अरबी भाषा की एक पुरानी किताब हफ्त तिलिस्मत-ए-अंबेरी (अंबेर के सात खजाने) में भी इस बात का जिक्र है कि किले में अकूत सोना-चांदी छिपा हुआ है. जयगढ़ किले के नीचे पानी की सात विशालकाय टंकियां बनी हैं. माना जाता है कि खजाना इन्हीं में था।

जयगढ़ दुर्ग आमेर ओर राजपुताना कि अन्य विरासतों कि सुरक्षा दृष्टि से बनवाया गया था और इस दुर्ग कि विशेषता आज इस वक़्त में यही है कि यहां पहले से ज़्यादा कुछ बदला नही है,इसकी प्राचीनता आज भी इसकी दिवारों में ज़िन्दा है।

जाते जाते इतना ही निवेदन है कि अबकी बार जयपुर आइए तो जयगढ़ को भूलिएगा नही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *