मनरेगा मजदूरों ने मांगी काम व मजदूरी की गारंटी

महात्मा गाँधी नरेगा के 12 साल पूरे होने पर राजस्थान के अजमेर जिले की जवाजा पंचायत समिति एवं राजसमन्द जिले की भीम पंचायत समिति में महात्मा गाँधी नरेगा के क्रियान्वयन को लेकर धरना दिया जिसमें सैकड़ों की संख्या में दोनों ही पंचायत समितियों में भाग लिया और जल्द ही परिस्थितियों को ठीक नहीं करने पर आन्दोलन की चेतावनी भी दी.

जवाजा तालाब की पाल पर 10 ग्राम पंचायतों के मनरेगा के मजदूर इकठ्ठा हुए. सभा में मजदूरों ने अपनी समस्याएं मजदूर किसान शक्ति संगठन और राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के बैनर तले रखी. शंकर सिंह ने कहा कि आज महात्मा गाँधी नरेगा कानून को लागू हुए 12 वर्ष हो गए क्योंकि आज ही के दिन 2 फरवरी, 2006 को भारत के 200 जिलों से इसकी शुरुआत हुई थी. देश के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले ग्रामीण मजदूरों के लिए ये बहुत बड़ी काम की गारंटी का कानून आया जो ग्रामीण मजदूरों के लिए वरदान है इसलिए इसे एक ऐतिहासिक दिन माना जाना चाहिए.  सुरडिया और तारागढ़ ग्राम पंचायत से आये मजदूरों ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में काम नहीं खोला जा रहा है मांगने पर भी रसीद नहीं दी जाती है जबकि वित्तीय वर्ष 2017-2018 ख़त्म होने में अभी दो महीने बाकी हैं. यहाँ पर लोग बार-बार काम मांग रहे हैं लेकिन उसके वाबजूद काम नहीं मिलरहा है. इस इलाके में पिछले वित्तीय वर्ष में जितना काम मिला था उतना काम भी मजदूरों को नहीं मिला है. सुरडिया से आई महिलाओं ने बताया कि उनसे पुराने जॉबकार्ड ले लिए गये क्योंकि उनके पृष्ठ भर गए थे और उनको नया जॉबकार्ड जारी करना था लेकिन उनको काफी लम्बे समय तक नया जॉबकार्ड ही जारी नहीं किया गया जिससे लोगों को काम से वंचित रखा गया.

जवाजा ग्राम पंचायत से आई महिलाओं ने कहा कि हमें ग्राम पंचायत द्वारा कहा गया कि आपके यहाँ पर तालाब भर गया इसलिए अब काम नहीं दिया जा सकता है क्योंकि कोई अन्य कार्य स्वीकृत ही नहीं है. सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुशीला बाई ने कहा कि- काम की गारंटी का कानून हमारे देश आ तो गया और शुरुआत के कुछ वर्षों में इसका क्रियान्वयन थोडा ठीक था फिर इसे निचले स्तर के अधिकारीयों और कर्मचारियों ने ठीक ढंग से लागू करने में रूचि नहीं दिखाई और जवाबदेही भी पूरी नहीं की. नीति निर्धारक और कार्यपालिका के उच्च पदों पर आसीन लोग श्रमिकों के लिए लोक लुभावन घोषणाएँ करते हैं लेकिन पिछले 12 वर्षों तक मनरेगा येाजना में श्रमिक के अधिकारों को सुनिश्चित करना ही भूल गए. आज राजस्थान में क्रियान्वयन के स्तर पर बहुत बड़ी खामियां हैं जिन्हें तुरंत दूर किये जाने की आवश्यकता है.

पाल पर सभा के बाद जवाजा में मुख्य बाज़ार से होकर पंचायत समिति कार्यलय तक रैली निकाली जो पंचायत समिति के कार्यालय के सामने सभा में तब्दील हो गई जिसमें मजदूरों ने अपनी समस्याओं को जवाजा पंचायत समिति के विकास अधिकारी के सामने रखा जिस पर विकास अधिकारी ने तारागढ़ और सुर्दिया ग्राम पंचायत के सहायक सचिवों को मौके पर बुलाकर समाधान करने के निर्देश दिए. पेंशन और स्वच्छ भारत अभियान से सम्बंधित समस्याओं के लिए शिकायत लिखित में देने पर तुरंत समाधान का आश्वासन दिया. संगठन की महिलाओं ने विकास अधिकारी पंचायत समिति जवाजा व भीम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम ज्ञापन सौंपा और उसमें निम्न मांगें रखी:

(1)    हमारे इलाके में बहुत सारे लोगों को काम देना बंद कर दिया जबकि उनका बहुत दिन बाकी हैं सभी ग्रामीण परिवारों को उनकी मांग अनुसार 100 दिन का तुरंत मिले|

(2)    काम मांगने पर आवेदन नहीं भरा जाता है और ना ही रसीद दी जाती है | सभी मजदूरों को काम मांगने पर रसीद दी जाये और  15दिवस के भीतर हर हालात में उनको काम मिले.

(3) किये गये काम का भुगतान हर हालात में 15 दिन में किया जाये और भुगतान में देरी हो तो मजदूरों को भुगतान हुए विलम्ब के लिए मुआवजा दिया जाये.

(4) सरकारी स्कूलों में जो पोषहार बनाने का काम करने वाली महिलाएं एवं आँगनवादी में काम करने वाली महिलाओं को कम से कम न्यूनतम मजदूरी दी जाये.

(5) नरेगा मजदूरी कम से कम 300रुपये प्रति दिन की जाये.

(6)    ग्राम पंचायत में कार्य ग्राम सभा की प्राथमिकताओं के आधार पर तय हो.

(7)    नरेगा में 100 दिन के काम की गारंटी की जगह 200 के काम की गारंटी की जाये.

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