पद्मावत करणी सेना के शौर्य का प्रतीक या विरोध का

मैं पद्मावती बनाऊंगा तुम विरोध करना मैं अड़ा रहूंगा तुम टिके रहना फिर चुनाव आएंगे और आका फायदा उठाएंगे आका को फायदा मिलेगा और हमें इनाम मिलेगा फिर चुनाव चले जाएंगे और कुछ दिन आराम कर लेंगे,हम फिरसे कुछ दिन बाद मैदान में आएंगे फिर चुनाव आएंगे हम फिर माहौल बनाएंगे मैं तुम्हारी बातें मानकर फ़िल्म के नाम मे से “आई” हटा लूंगा तुम फिर भी ना मानना,डर का माहौल बनाना,सड़को पर तोड़फोड़ करना,आम लोगों को भयभीत करना ओर फिर फ़िल्म रिलीज़ पर चार दिन चार राज्यों में बैन का एलान हम करवा देंगे,चुनाव चले जाएंगे और तुम अपना आंदोलन वापस लेकर फ़िल्म को राजपूतों की शौर्यता का प्रतीक बताकर देखने की अपील कर देना।

फ़िल्म का धमाकेदार प्रोमोशन भी हुआ।फ़िल्म रिलीज़ भी हुई।चुनाव भी सफलतापूर्ण सम्पन्न हुए।लेकिन पद्मावती के आने से लेकर रिलीज़ हो जाने तक पूरे खेल से कुछ सवाल पैदा होते हैं जिन्हें जनता के सामने रखना बहुत ज़रूरी है।

1.पद्मावती का विरोध “किसी भी रूप में”इस फ़िल्म को स्वीकार ना करने की बात को लेकर शुरू हुआ था।फिर तमाम चुनावों के सम्पन्न हो जाने के बाद “राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना”को इसमें कोनसी शौर्यता इतने वक़्त बाद नज़र आ गयी।

2.सुप्रीम कोर्ट ने जब आदेश दे दिया था कि देश के सभी राज्यों में पद्मावत रिलीज़ होगी उसके बाद भी किस डर की वजह से फ़िल्म कई राज्यों में रिलीज़ नही हुई ? क्या सरकार और प्रशासन इसके लिए जवाबदेह नही हैं ?

3.करणी सेना के विरोध प्रदेशन के दौरान हुए नुकसान की जवाबदेही कौन देगा ? क्या प्रशासन कुछ गिरफ्तरीयों को लेकर आश्वस्त हैं।

4.क्या इस पूरे खेल के प्री प्लांड होने में कोई शक आपको महसूस होता है ?

पद्मावत मुद्दे को लेकर आपके प्रश्न हमें भेजिए।जनमानस राजस्थान आपके सवालों को जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा।

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